धर्म परिवर्तन: मन बदला तो 'तसनीम' बन गई 'प्रेरणा'
लखनऊ। आगरा में सामूहिक धर्म परिवर्तन पर चाहे जितनी हाय-तौबा मची हो लेकिन मन परिवर्तन पर कोई रोक नहीं
लखनऊ। आगरा में सामूहिक धर्म परिवर्तन पर चाहे जितनी हाय-तौबा मची हो लेकिन मन परिवर्तन पर कोई रोक नहीं लग सकता। तभी तो संस्कारों, तीज-त्योहारों को देख उसका मन बदला और बिना आडंबर किए ही मुस्लिम धर्म को मानने वाली सुलतानपुर की तसनीम शेख आज कुमारी प्रेरणा बन गई। उसने शपथपत्र देकर धर्म परिवर्तन की घोषणा भी कर दी। पढ़ी-लिखी तसनीम ने शपथपत्र में अंग्रेजी और हिंदी में दोनों नामों के हस्ताक्षर किए हैं।
शहर के बढ़ैयावीर निवासी नाजिम शेख की बत्तीस वर्षीय पुत्री तसनीम शेख गुरुवार दोपहर अधिवक्ता रामशिरोमणि यादव के साथ दीवानी न्यायालय आई थी। वह बिना किसी जोर दबाव के मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू बन गई और अपना नाम प्रेरणा रख लिया। ऐसा उसने नोटेरियल शपथपत्र देकर घोषित किया है, जिसमें कहा गया है कि स्वतंत्र इच्छा व बिना लालच के वह हिंदू धर्म स्वीकार कर रही है। अब अपने सभी शुभ कार्य हिंदू रीति-रिवाज से ही संपन्न कराएगी। बिना आडंबर व संस्कारों से हुए इस धर्म परिवर्तन की सुगबुगाहाट पल भर में फैल गई। जब प्रेरणा से इसका कारण 'दैनिक जागरण' ने पूछा तो वह बेबाक बोल पड़ी 'तीज-त्यौहार, संस्कार व रिश्ते नाते सबकुछ अच्छे लगे, इसीलिए हिंदू बन गई हूं।' जब उससे धर्म परिवर्तन के लिए शुद्धीकरण यज्ञ कराने के बारे में पूछा गया तो कहा कि-'मैं तो मन से हिंदू बन गई हूं। अब जो संस्कार निभाने होंगे वह भी कराऊंगी। सबको बुलाऊंगी।' धर्म परिवर्तन पर हो-हल्ला मचा तो, इस सवाल पर प्रेरणा बोली 'धर्म के ठेकेदार हृदय परिवर्तन पर रोक नहीं लगा सकते। अपनी इच्छा से बिना दबाव व लालच के जिसने भी धर्म बदला है उसके जीवन में हस्तक्षेप कोई नहीं कर सकता।'