आरटीआइ से हुआ खुलासा, माल्या ने राज्यसभा क्षेत्र दौरे के भत्ते भी नहीं छोड़े
विजय माल्या का अरबपति का रुतबा होने के बाद भी राज्यसभा सदस्य रहते हुए सरकारी भत्ते भी नहीं छोड़े।
लखनऊ। नौ हजार करोड़ की रकम डकारकर विदेश में डेरा जमाने वाले उद्योगपति विजय माल्या के बारे में आरटीआइ से एक और खुलासा हुआ है। बड़े उद्योगपति की हैसियत, अरबपति का रुतबा होने के बाद भी उन्होंने राज्यसभा सदस्य रहते हुए सरकारी भत्ते भी नहीं छोड़े। लिहाजा टेलीफोन से लेकर घूमने तक में जमकर पानी की तरह पैसा बहाया। हालांकि, काम का आकलन हुआ तो वह धेला भर निकलकर नहीं आया।
आरटीआइ से हुआ खुलासा
बरेली के आरटीआइ कार्यकर्ता मुहम्मद खालिद जीलानी ने 15 मार्च को तीन बिंदुओं पर राज्यसभा सचिवालय के मुख्य जनसूचना अधिकारी से सूचनाएं मुहैया कराने को पत्र भेजा था। इस पर निदेशक व केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी अरुण शर्मा ने जवाब भेजा है।
विजय माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
बताया गया है, विजय माल्या ने राज्यसभा सदस्य रहते सचिवालय से हवाई यात्रा भत्ते का दावा किया लेकिन, अन्य लाभ और भत्ते लिए। सहायक निदेशक की ओर से दिए ब्योरे में बताया गया है कि माल्या ने वेतन के तौर पर हर महीने 50 हजार रुपये, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के लिए एक अगस्त 2010 से 30 सितंबर 2010 तक बीस हजार रुपये, उसके बाद यही भत्ता हर महीने 45 हजार रुपये के रूप में लिया।
जानिए क्या है विवादास्पद कारोबारी विजय माल्या का केस?
कार्यालय भत्ता के लिए जुलाई से सितंबर 2010 तक छह हजार रुपये प्रति माह और फिर 15 हजार रुपये प्रति माह लिया। इसके अलावा 1 लाख 73 हजार 271 मुफ्त टेलीफोन कॉल कीं। पानी बिजली और इलाज के लिए कोई पैसा नहीं लिया।
आरटीआइ कार्यकर्ता मुहम्मद खालिद जीलानी ने बताया कि आरटीआइ से मिली जानकारी से पता चल रहा है कि गैर जिम्मेदार तरीके से विजय माल्या को भत्ते दिए जाते रहे। कुछ मामलों जानकारी देने की वजह राज्यसभा की बेवसाइट पर देखने को कहा गया है जो अधिनियम के खिलाफ है।