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भाजपा के अरुण पाठक ने तोड़ी स्वरूप परिवार की विरासत

भारतीय जनता पार्टी के अरुण पाठक ने कानपुर-उन्नाव खंड स्नातक विधान परिषद चुनाव में बाजी मार ली है। अरुण ने करीब 32 वर्ष से इस सीट पर काबिज रहे जगेन्द्र स्वरूप के पुत्र को को शिकस्त दी। पेशे से शिक्षक भाजपा प्रत्याशी अरुण ने जीत दर्ज कर कानपुर की करीब

By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Fri, 23 Jan 2015 01:18 PM (IST)

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के अरुण पाठक ने कानपुर-उन्नाव खंड स्नातक विधान परिषद चुनाव में बाजी मार ली है। अरुण ने करीब 32 वर्ष से इस सीट पर काबिज रहे जगेन्द्र स्वरूप के पुत्र को को शिकस्त दी। कानपुर खंड स्नातक विधान परिषद के उप चुनाव में भाजपा के अरुण पाठक ने 1816 मतों से मानवेन्द्र स्वरूप को पराजित किया। प्रथम वरीयता के मतों की गणना के दौरान निर्धारित मत किसी प्रत्याशी को नहीं मिले थे। ऐसे में द्वितीय वरीयता के मतों की गणना हुई तो अरुण पाठक के सिर पर जीत का सेहरा बंधा।

पेशे से शिक्षक भाजपा प्रत्याशी अरुण ने जीत दर्ज कर कानपुर की करीब सौ वर्ष की विरासत तोड़ दी। उन्होंने इस चुनाव में मानवेन्द्र स्वरूप को शिकस्त दी। यह सीट मानवेन्द्र के पिता जागेन्द्र स्वरूप के निधन से रिक्त हुई थी। इस सीट पर स्वरूप परिवार का दशकों से कब्जा रहा था। अरुण पाठक की जीत पर भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि कानपुर स्नातक सीट जीतना शुभ संकेत है।

जगेन्द्र स्वरूप के निधन से रिक्त हुई कानपुर खंड स्नातक सीट पर 19 जनवरी को मतदान हुआ था। 68,063 मतदाताओं ने 13 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला किया था। मतगणना के दौरान 4626 वोट अवैध पाये गये थे। जबकि 73 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था। ऐसे में प्रथम वरीयता के मतों से जीत के लिए 31,683 मतों का कोटा निर्धारित किया गया था, लेकिन कोई भी प्रत्याशी कोटे के अनुसार मत नहीं प्राप्त कर सका। भाजपा के अरुण पाठक को प्रथम वरीयता में 22,170 वोट मिले थे, जबकि मानवेन्द्र स्वरूप ने 22,433 वोट पाकर अरुण पर बढ़त बना ली थी। कोटा के अनुसार किसी को भी मत नहीं मिले ऐसे में द्वितीय वरीयता के मतों की गणना की गई। जिसमें भाजपा के अरुण पाठक ने बाजी मार ली। अरुण पाठक ने द्वितीय वरीयता के 1816 वोट पाकर मानवेन्द्र स्वरूप को पराजित किया। निर्वाचन अधिकारी एवं मंडलायुक्त मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन ने उन्हें विजयी घोषित किया। पार्टी उम्मीदवार की जीत के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई और उन्होंने ढोल नगाड़ों के साथ विजय जुलूस निकाला।इस चुनाव की मतगणना के पहले चक्र से ही भाजपा के अरुण पाठक तथा अपने परिवार की परंपरागत सीट बचाने उतरे मानवेंद्र में सीधी टक्कर दिख रही थी। जैसे-जैसे मतगणना बढ़ती गई वैसे-वैसे वर्षो ही की पारिवारिक परंपरा के खिलाफ मतदाताओं की त्योरियां नींव दरकाने की तरफ कदम बढ़ाती दिखीं।

गौरतलब है कि कानपुर खंड स्नातक विधान परिषद चुनाव सोमवार को हुआ था। इसमें 13 प्रत्याशी भाग्य आजमाने उतरे थे। 232843 मतदाताओं में से 30.44 फीसद मतदाताओं ने मतदान किया। जगेंद्र स्वरूप के निधन से रिक्त कानपुर खंड स्नातक विधान परिषद सीट में कानपुर नगर, उन्नाव और कानपुर देहात जिले शामिल हैं। 252 बूथों पर मतदान सुबह आठ बजे शुरू हुआ और शाम चार बजे तक लोगों ने वोट डाले। कानपुर देहात जिले में 50.40 फीसद, कानपुर नगर में 28 फीसद व उन्नाव में 33.22 फीसद मतदाताओं ने मतदान किया।

आजादी के पहले से स्वरूप परिवार की विरासत

कानपुर खंड स्नातक निर्वाचन की सीट पर 32 साल से ज्यादा तक जगेन्द्र स्वरूप का प्रतिनिधित्व रहा। पहली बार चौथी पीढ़ी के मानवेंद्र स्वरूप के सामने कड़ी चुनौती नजर आई। जगेन्द्र स्वरूप के बेटे मानवेंद्र को भाजपा के अरुण से सीधी चुनौती मिलती रही। अन्य प्रत्याशी डॉ. विवेक द्विवेदी व अवधेश प्रताप सिंह की उपस्थिति ने दोनों को हर मौके पर परेशान किया। इस बार मानवेंद्र स्वरूप पारिवारिक थाती को संभालने में काफी पिछड़ते नजर आये।

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