अखिलेश अभी भी मुख्तार अंसारी पर चाचा के फैसले से सहमत नहीं
लखनऊ में एक कार्यक्रम में प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ कहा कि मुख्तार अंसारी का सपा में स्वागत नहीं है।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Sat, 25 Jun 2016 04:46 PM (IST)
लखनऊ (जेएनएन)। गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल के प्रदेश की सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी में विलय की राह आसान नहीं है। आज लखनऊ में एक कार्यक्रम में प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ कहा कि मुख्तार अंसारी का सपा में स्वागत नहीं है।
समाजवादी पार्टी में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को लेकर चल रहा संग्राम अभी भी जारी है। परसों मुख्यमंत्री के रुख से लग रहा था कि तूफान शांत हो गया है, लेकिन आज मुख्यमंत्री ने फिर इसको बढ़ा दिया है।यह भी पढ़ें- मैंने तो अखिलेश सरकार को बदनाम होने से बचाया : रामूवालिया
मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि वह मुख्तार अंसारी की पार्टी के समाजवादी पार्टी में विलय के चाचा शिवपाल यादव के फैसले से सहमत नहीं हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय के मुद्दे पर आज खुले लहजे में कहा कि वह ऐसे लोगों को दल में नहीं चाहते और मुख्तार उनकी पार्टी में नहीं रहेंगे।अखिलेश ने एक कार्यक्रम में मुख्तार की पार्टी को समाजवादी पार्टी में शामिल करने के सवाल पर कहा कि मैंने फैसला किया कि हम ऐसे लोगों को नहीं चाहते। कौमी एकता दल को समाजवादी पार्टी में शामिल करने के फैसले के बारे में मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा कि यह फैसला मैंने नहीं लिया था।
यह भी पढ़ें- अखिलेश यादव मंत्रिमंडल का सातवां विस्तार 27 कोमुझे प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से या फिर मुख्यमंत्री की हैसियत से जिस प्लेटफार्म पर कहना होगा, मैं कहूंगा। मैंने कह दिया मुख्तार अंसारी हमारी पार्टी में नहीं शामिल होंगे। हालांकि इससे पहले मुख्तार अंसारी के बारे में किए गए सवाल को अखिलेश ने कई बार टाला और वे बार-बार दूसरे मुद्दों पर बात करने लगे।हत्या समेत कई जघन्य मामलों में अर्से से जेल में बंद माफिया सरगना मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल की अगुवाई वाले कौएद का बीते दिनों समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया गया था।यह भी पढ़ें- कौमी एकता दल के विलय पर अखिलेश के तेवर ढीले, स्वामी प्रसाद को सराहामुख्यमंत्री अखिलेश इस कदम से खासे नाराज थे। इसमें अहम भूमिका निभाने वाले बलराम यादव को उन्होंने मंत्री पद से बर्खास्त भी कर दिया था। इसके दो दिन बाद परसों उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे को लेकर कहीं कोई नाराजगी नहीं है।
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