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साइबर ठगों में पुलिस का कोई खौफ नहीं

- अभी तक किसी मुकाम पर नहीं पहुंची विशेष जांच टीम - अन्तर्राज्यीय समन्वय बनाये बिना ठग

By Edited By: Updated: Tue, 27 Aug 2013 08:13 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, लखनऊ : हाईटेक होने की दौड़ में जुटी सूबे की पुलिस यूं तो साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए आये दिन नई कार्ययोजना बना रही है, लेकिन सच्चाई यही है कि साइबर ठगों में पुलिस का कोई खौफ नहीं है। नौकरी के नाम पर ठगी कर रहे गिरोह देश की लगभग सारी प्रतिष्ठित कारपोरेट कंपनियों के अलावा सुप्रीम कोर्ट और रिजर्व बैंक के नाम, लोगों तथा पहचान का बेधड़क इस्तेमाल कर रहे हैं और पुलिस इनको पकड़ नहीं पा रही है।

दैनिक जागरण बरेली ने साइबर ठगों के नेटवर्क का राजफाश किया, लेकिन उनको पकड़ने में पुलिस नाकाम रही। इसके लिए अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था अरुण कुमार ने एक विशेष टीम बनाकर जांच के निर्देश दिए, लेकिन अभी तक यह जांच किसी मुकाम पर नहीं पहुंची है। सच यह भी है कि इस गिरोह की जड़ तक पहुंचना अकेले यूपी पुलिस के बस का नहीं है। इसके लिए अन्तर्राज्यीय नेटवर्क स्थापित करने की जरूरत है। साइबर ठगों की करतूतों का आकलन कर रहे एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि इनका सब कुछ छद्म है, इसलिए इनके गिरफ्त में आने में समय तो लगेगा।ऐसे गिरोह को पकड़ने के लिए पुलिस को अन्तर्राज्यीय समन्वय बनाये बिना सफलता नहीं मिल सकती है।

दिल्ली से संचालित हो रहा ठगी का गिरोह : बरेली जागरण की छानबीन में यह जानकारी सामने आयी कि नौकरी के नाम पर दिल्ली के नेहरू प्लेस क्षेत्र से ठगी की जा रही है। गैंग के पास कई नामी कंपनियों का लेटर पैड और मुहर लगा ऑफर लेटर है जिससे बेरोजगारों को नौकरी का ऑफर देते हैं। ठगी करने वाला यह गिरोह कई नामी कंपनियों की वेबसाइट भी मिलते-जुलते नामों से बनाकर ऑपरेट कर रहा है। ठगों की ओर से बैंक खाता खोलने के लिए फर्जी आइडी और पैन का प्रयोग किया गया है।

ऐसे होती है ठगी : ठगों की ओर से नौकरी दिलाने वाली वेबसाइट्स से ऐसे व्यक्ति का ई-मेल लिया जाता है जो हाल ही में बीटेक या एमबीए पास हुआ होता है। फिर उस ई-मेल आइडी पर उनकी ओर से जॉब का ऑफर लेटर भेजा जाता है और साक्षात्कार के नाम पर पैसे जमा करवाने के नाम पर सहमत किया जाता है। खाते में पैसा जमा होने के बाद गैंग का नंबर ब्लॉक कर दिया जाता है और कुछ दिनों के बाद नंबर स्विच ऑफ हो जाता है।

भुक्तभोगी को ही परेशान कर रही पुलिस : दिलचस्प यह है कि ऐसे ठगों को पकड़ने में पुलिस रुचि लेने की बजाय भुक्तभोगियों को ही परेशान कर रही है। न्यू कालोनी देवरिया निवासी विजय कुमार मौर्या मुख्यमंत्री समेत कई प्रमुख अधिकारियों को पत्र भेजकर साइबर ठगी के ऐसे ही एक मामले में पिछले कई माह से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। मौर्य के मुताबिक नोएडा की एक कंपनी ने नौकरी के नाम पर उनके भाई से तीस हजार रुपये लेकर प्रशिक्षण दिया और फिर उनसे कई महीने काम भी कराया। 15 हजार रुपये मासिक वेतन पर नियुक्ति हुई थी, लेकिन जब वेतन मांगे तो कंपनी ने उनसे पल्ला झाड़ लिया और उल्टे उनपर ही आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज करा दिया। तबसे वह लगातार भागदौड़ कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

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