Move to Jagran APP

आयकर की 20 टीमों ने यादव सिंह के ठिकानों पर मारे छापे

लखनऊ। नोएडा में इंजीनियरिंग विभाग के हेड यादव सिंह के 25 से ज्यादा ठिकानों पर आज आयकर विभाग

By Edited By: Updated: Thu, 27 Nov 2014 12:59 PM (IST)
Hero Image

लखनऊ। आयकर विभाग की 20 टीमों ने आज दिल्ली, नोएडा व गाजियाबाद में दो कंपनियों के वाणिज्यिक व आवासीय परिसरों में छापा डाला। इन कंपनियों का संबंध नोएडा अथारिटी में करोड़ों रुपये के घोटाले के लिए आरोपित चर्चित अधिकारी यादव सिंह से है जो इस समय नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण तीनों के ही प्रमुख अभियंता हैं। उनकी पत्‍‌नी कुसुमलता इन कंपनियों में निदेशक हैं।

आयकर महानिदेशक कृष्णा सैनी ने पत्रकारों को बताया कि छापे की कार्रवाई मेकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड तथा मीनू क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों तथा इनके निदेशकों के आवासीय परिसरों में की गई है। उन्होंने इसे 'सर्वे' और 'सर्च' आपरेशन की संज्ञा दी। बताया कि आपरेशन में आयकर विभाग के 130 तथा इतनी ही संख्या में पुलिस कर्मी शामिल हैं। छापे में 13 लॉकर पाए गए हैं जिन्हें सील कर दिया गया है और एक-दो दिन में इन्हें खोला जाएगा।

आयकर महानिदेशक ने बताया कि अब तक की कार्रवाई में बेनामी संपत्तियों और प्रापर्टी डीलिंग के कागजात मिले हैं। कमीशन दिए जाने का उल्लेख करने वाले कागजात भी मिले हैं। अभी यह नहीं बताया जा सकता कि इसका संबंध किससे है और कमीशन किसको और किस काम के लिए दिया गया। कृष्णा सैनी ने बताया किमेकॉन इंफ्रा के निदेशकों में राजेन्द्र मनोचा, नम्रता मनोचा व यादव सिंह की पत्‍‌नी कुसुमलता शामिल हैं हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि 2012-13 में कुसुमलता कंपनी से अलग हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मीनू क्रिएशन गारमेंट व्यवसाय से जुड़ी कंपनी बताई जाती है और छापे में भारी मात्रा में स्टाक बरामद हुआ है जो कर अपवंचना का मामला हो सकता है। यह पूछे जाने पर कि छापे की कार्रवाई से यादव सिंह का क्या रिश्ता है, महानिदेशक ने बताया कि वह कुसुमलता के पति हैं और आवश्यकता होने पर उनसे पूछताछ हो सकती है। पूरे मामले में नोएडा अथारिटी से भी विवरण मांगा जा सकता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सारा मामला पिछले तीन-चार साल का है। उन्होंने कहा कि कार्रवाई रात भर चलेगी।

'शेल' कंपनियों के सहारे हुआ खेल

आयकर महानिदेशक (जांच) कृष्णा सैनी ने बताया कि इस बात की जांच भी कराई जा रही है कि 'शेल' कंपनियों (सिर्फ नाम की कंपनियां) के हवाले कितने भूखंड किए गए। यह सामने आया है कि रजिस्टर्ड कम्पनियां बनाकर नोएडा अथारिटी से भूखंड आवंटित कराए गए और फिर इन कंपनियों के शेयर को ही 'शेल' कंपनियों को बेच दिया गया। नतीजा यह हुआ कि भूखंड का स्वामित्व 'शेल' कंपनी का हो गया और यह पता ही नहीं चल सका कि इस पर 'कैपिटल गेन' कितना बना। सवालों के जवाब में आयकर महानिदेशक ने बताया कि अभी यह नहीं बताया जा सकता कि इस तरीके से कितने भूखंड आवंटित कराकर शेल कंपनियों के हवाले किए गए लेकिन इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि भारी पैमाने पर कर चोरी की गई।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।