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आसाराम प्रकरण : बहादुर बेटी से मिल बढ़ गया हौसला!

लखनऊ। झूठ फरेब की बुनियाद पर खड़े आसाराम के साम्राज्य की नींव हिलाने वाली बहादुर बेटी, अ

By Edited By: Updated: Sun, 05 Jan 2014 07:20 PM (IST)

लखनऊ। झूठ फरेब की बुनियाद पर खड़े आसाराम के साम्राज्य की नींव हिलाने वाली बहादुर बेटी, अपने मददगारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।

हरियाणा के पानीपत निवासी और दुष्कर्म केस के सरकारी गवाह महेंद्र चावला का भी उससे भेंट के बाद अन्याय के खिलाफ संघर्ष का जज्बा और बढ़ गया। चावला का कहना है कि आसाराम ने तो उनका मनोबल तोड़ने के लिए 600 किमी दूर लखनऊ में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन यह मुकदमा उनके लिए संजीवनी साबित हुआ। लखनऊ से पानीपत जाते समय मीडिया से बातचीत में सरकारी गवाह चावला ने कहा कि अभी तक जो शंकाएं व जिज्ञासाएं थीं, वह शाहजहांपुर में बहादुर बेटी से मिलने के बाद शांत हो गई और आसाराम के खिलाफ न्याय की लड़ाई का मनोबल बढ़ गया।

चावला ने बताया कि आसाराम की समर्थक महिला मोनी सिंह समेत पांच लोगों ने वैद्य अमृत प्रजापति व उनके समेत चार न्यूज चैनल के खिलाफ लखनऊ की अदालत में मुकदमा दर्ज कराया है। जबकि इसी आशय का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट से पहले ही खारिज हो चुका है। चावला ने बताया कि सम्मन मिलने पर उन्होंने लखनऊ की अदालत में हाजिरी दी। कोर्ट ने पक्ष के लिए 15 जनवरी की डेट लगा दी है। चावला बोले कि पानीपत से लखनऊ जाते समय तमाम प्रश्न मन में थे। आसाराम के षड्यंत्र के जवाब के बारे में चिंतनशील था, कभी नकारात्मक विचार भी मन में आए। लेकिन शाहजहांपुर में पीड़ित परिवार और बहादुर बेटी से भेंट के बाद उनका हौसला बढ़ गया। कहा कि जो बच्ची न्याय के लिए मजबूत इरादों के साथ खड़ी है, उसका साथ देना हम सबका कर्तव्य है।

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विरोध पर साधकों की पिटाई करते थे आसाराम और नारायण साई

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महेंद्र चावला ने बताया कि आसाराम और नारायण का विरोध करना जान पर खेलने जैसा है। उन्होंने बीते दिनों की यादा ताजा करते हुए बताया कि जो साधक कुकृत्यों के खिलाफ चर्चा कर देता था, उसकी जमकर पिटाई की जाती थी। आसाराम के पूर्व सेवादार और नारायण साई के पीए रहे महेंद्र चावला ने बताया कि वह 1996 में आसाराम से जुड़े थे। योग्यता व समर्पण देख आसाराम ने वर्ष 2001 में नारायण साई का पीए नियुक्त कर दिया। लेकिन जब नारायण साई को महिलाओं से दुष्कर्म करते देखा तो दंग रह गया। विरोध करने पर साई ने फरवरी 2005 में उन्हें विरार महाराष्ट्र में बुलाया और जमकर पिटाई की। पांच सादे कागजों पर जबरन दस्तखत कराए और अंगूठा लगवा लिया। अगस्त 2005 में पूरी तरह आसाराम और नारायण का साथ छोड़ दिया।

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तंत्र विद्या करते हैं पिता-पुत्र

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महेंद्र चावला ने बताया कि आसाराम और उनका बेटा नारायण तंत्र विद्या करते हैं। वर्ष 2001 में उन्हें भी तंत्र विद्या सिखाने के लिए नारायण मध्यप्रदेश प्रांत के झाबुआ जिला के गांव कल्लीपुरा में नदी के किनारे ले गया। जहां काली चौदस को तंत्र विद्या की। इस दौरान नारायण ने अपने सामने एक बच्चा लिटाया और खोपड़ी रखी। फिर पूजा पाठ शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि झारखंड में रजरप्पा, छिनमस्तीके माता मंदिर के पास भी तंत्र विद्या सिखाने के प्रयास किए गए, लेकिन वहां मौजूद बाबा ने तंत्र विद्या सिखाने से मना कर दिया। चावला ने बताया कि उन्हें नारायण ने कई तांत्रिक मंत्र भी लिखकर दिए थे, जिन्हें उन्होंने जोधपुर पुलिस को सौंप दिया है।

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