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भारत पहले और अब भी विश्व गुरु : राजनाथ

भारत पहले विश्व गुरु था और अब भी विश्व गुरु है। इसका उदाहरण शारदा विश्वविद्यालय है। विश्व के विभिन्न देशों से छात्र शिक्षा-दीक्षा लेने प्राचीन काल में नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय आते थे, आज शारदा विश्वविद्यालय इसी राह पर है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज ग्रेटर नोएडा के नॉलेज

By Nawal MishraEdited By: Updated: Fri, 27 Feb 2015 08:01 PM (IST)
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लखनऊ। भारत पहले विश्व गुरु था और अब भी विश्व गुरु है। इसका उदाहरण शारदा विश्वविद्यालय है। विश्व के विभिन्न देशों से छात्र शिक्षा-दीक्षा लेने प्राचीन काल में नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय आते थे, आज शारदा विश्वविद्यालय इसी राह पर है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में यह बात कही।

गृहमंत्री ने कहा कि नॉलेज पार्क सहित एनसीआर में शिक्षण संस्थानों की बाढ़ आ गई है। लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना चुनौती बन गया है। शारदा विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से बढऩे वाला संस्थान है। यह ग्लोबल लर्निंग सेंटर के रूप में उभर रहा है। यह प्राचीन काल के नालंदा व तक्षशिला विश्वविद्यालय की याद दिलाता है। उन्होंने याद दिलाया कि जर्मन दार्शनिक शापन हार्बर ने कहा था कि भारत को पहचानने के लिए कई जन्म भारत के खुले आकाश के नीचे जिंदगी गुजारनी होगी। 1830 में रायल एशियाटिक सोसायटी के सदस्य सर विलियम जान ने कहा था कि संस्कृत विश्व की भाषा है। इसका संबंध विश्व के अधिकांश भाषाओं से हैं।

गृहमंत्री ने कहा कि छात्र अपने देश का नाम ऊंचा करें। यहां की सभ्यता संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त करें। विदेशी छात्रों की नकल न करें, बल्कि विदेशी छात्रों को भारत की नकल करने पर मजबूर करें। नकल में अकल लगाने से ज्यादा अकल लगाकर पढ़ाई करें व भारत को गौरवांवित करें। समारोह में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उच्च शिक्षा रमाशंकर कठेरिया व विश्वविद्यालय के कुलपति डा. पीके गुप्ता भी रहे।