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सदमे में किसान: बर्बाद फसलों के कारण 12 किसानों की मौत

उत्तर प्रदेश में किसानों पर पड़ी मौसम की मार ने उनकी कमर तोड़ दी है। ऐसे में कर्ज से दबे किसान सदमे में दम तोड़ रहे हैं या फिर आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं। प्रदेश में बीते 24 घंटों में कम से कम 12 किसान मौत के मुंह में

By Nawal MishraEdited By: Updated: Wed, 25 Mar 2015 09:37 AM (IST)
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में किसानों पर पड़ी मौसम की मार ने उनकी कमर तोड़ दी है। ऐसे में कर्ज से दबे किसान सदमे में दम तोड़ रहे हैं या फिर आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं। प्रदेश में बीते 24 घंटों में कम से कम 12 किसान मौत के मुंह में चले गए। परिवार वालों का कहना है कि फसल की बर्बादी को वह सह नहीं सके। वहीं उचित मुआवजे व चौपट फसलों का सही सर्वे नहीं होने पर किसानों के साथ भाजपा और भारतीय किसान यूनियन ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं हैं।

महोबा के भरवारा गांव निवासी हरदयाल ने बर्बाद हुई फसलों के गम में पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हरदयाल पर बैंकों व साहूकारों का कर्ज भी था। बांदा के बबेरू क्षेत्र के शिवगांव निवासी चुनबधिया प्रजापति व इसी क्षेत्र के कबीरपुर गांव निवासी रामजियावन ने सदमे में जान दे दी। कानपुर देहात के अकबरपुर क्षेत्र में सीधामऊ गांव निवासी कृष्ण दत्त अवस्थी की मौत सदमे से हो गई। कन्नौज के सौरिख थानांतर्गत बीलमपुर गांव निवासी रामवीर सिंह की मौत भी सदमे से हो गई। वहीं किसानों को मुआवजा देने में देरी व उदासीनता बरतने पर भाजपा व भाकियू ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। खेतों के फिर से सर्वे और समय से उचित मुआवजे की मांग को लेकर मुख्यालय पर भाजपा व अपना दल के लोगों ने किसानों का साथ दिया। उरई में भारतीय किसान यूनियन के उपाध्यक्ष बलराम सिंह लंबरदार ने सरकार के विरोध में 30 मार्च से प्रदर्शन का एलान किया। माधौगढ़ में भी किसानों ने प्रदर्शन किया। इटावा में कचहरी के सामने भाजपाइयों ने सपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों का विरोध किया।

पश्चिम उत्तर प्रदेश के मथुरा में मांट क्षेत्र के गांव कसेराकलां निवासी रामवीर सिंह खेतों में गेहूं की फसल बिछी देख गश खाकर गिर गए और तत्काल उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कारण हार्टअटैक आया है। मैनपुरी के बरनाहल क्षेत्र के गांव बोझिया निवासी किसान धनीराम ने भी बारिश से बर्बाद हुई फसल का सदमा झेल नहीं पाए और फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पत्नी अनीता देवी ने बताया कि तीन दिन पहले बैंक से कर्ज का पैसा जमा करने को नोटिस आया था। तभी से वह परेशान थे। मंगलवार सुबह उनका शव पेड़ पर लटका मिला। हाथरस के बेदई गांव में आग में झुलसे किसान विनोद कुमार ने दम तोड़ दिया। फसल बर्बाद हुआ देख चार दिन पहले विनोद ने आग लगा ली थी। सहारनपुर के गंगोह क्षेत्र के गांव फतेहचंदपुर निवासी विक्रम सिंह की गेंहू की बर्बाद फसल देखने के बाद सदमे से मौत हो गई। विक्रम ने किसान क्रेडिट कार्ड व क्रय विक्रय समिति से करीब तीन लाख रुपये का लोन ले रखा था। बरेली के अलीगंज क्षेत्र के गांव खटेटा में किसान लच्छू सिंह लोधी की बारिश में नष्ट हुई फसल देखने के बाद सदमे से मौत हो गई। लच्छू ने 20 बीघे खेत बट्टे पर लेकर गेहूं व मसूर की खेती की थी। बदायूं के सैदपुर कस्बे में ख्वाजा चौक निवासी सय्यद आशिक अली की भी सदमे से मौत हो गई। बुलंदशहर के खुर्जा क्षेत्र के गांव सारंगपुर निवासी किसान संजीव कुमार की तबीयत फसल देखने के बाद से खराब चल रही थी। परिवारीजन उसे लेकर दिल्ली के एक निजी अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।

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