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राहुल के गढ़ में टिके विश्वास के कदम

लखनऊ (आनन्द राय)। 'कुछ छोटे सपनों के बादल, बड़ी नींद का सौदा करने, निकल पड़े हैं पां

By Edited By: Updated: Mon, 13 Jan 2014 01:51 PM (IST)
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लखनऊ (आनन्द राय)। 'कुछ छोटे सपनों के बादल, बड़ी नींद का सौदा करने, निकल पड़े हैं पांव हमारे, जाने कौन डगर ठहरेंगे।' कुमार विश्वास ने जब यह कविता लिखी थी, तब राजनीति से उनका कोई सरोकार नहीं था। लेकिन राजनीति में कदम रखने के बाद रविवार को उन्होंने अपनी इस कविता को एक नया आयाम दिया। लखनऊ से बड़े काफिले में अमेठी पहुंचे कुमार विश्वास ने पीढि़यों की कांग्रेस सल्तनत के खिलाफ अपने पांव टिका दिए। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गढ़ में जाकर परिवर्तन की हुंकार भरी और दो टूक एलान कर दिया कि वंशवाद के खिलाफ बदलाव के लिए अब अमेठी में ही डेरा डालेंगे।

संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी के प्रतिनिधित्व वाली अमेठी संसदीय सीट दो बार छोड़ हमेशा कांग्रेस के कब्जे में रही है। उत्तर प्रदेश की सियासत में आम आदमी पार्टी (आप) ने दस्तक देने के लिए इस इलाके को चुना और कुमार विश्वास ने यहां आकर नया नारा गढ़ दिया-बदलेगी अमेठी, बदलेगा देश। इसके पहले लखनऊ के बाबू केडी सिंह स्टेडियम में रविवार की सुबह सवा आठ बजे अपने सहयोगियों के साथ कुमार विश्वास पहुंचे। करीब सवा घंटे से 'आप' कार्यकर्ता उनका इंतजार कर रहे थे। अवध जोन की संयोजक अरुणा सिंह कार्यक्रम के प्रबंधन में लगी थीं। इस बीच 'आप' प्रवक्ता संजय सिंह भी आ पहुंचे और पार्टी में जल्द शामिल हुए पत्रकार आशुतोष के भी आने की खबर लाए। फिर मीडियाकर्मियों से रूबरू होने के बाद 'आप' का कारवां कांग्रेस के किले अमेठी की ओर बढ़ चला। लोगों के प्यार और समर्थन का ही असर था कि लखनऊ से अमेठी तक 140 किलोमीटर की दूरी तय करने में पांच घंटे से ज्यादा लगे। उनका कारवां लखनऊ, बाराबंकी और रायबरेली की सरहदों को छूते हुए हजारों निगाहों की छाया से गुजरा। कदम-कदम पर राहगीरों के हाथ अभिवादन में उठते। हर छोटे-बड़े कस्बे में स्वागत में लोग सड़क पर खड़े थे। किसी कस्बे में कुमार विश्वास अपने वाहन से नीचे उतरते तो मीडिया को इलाकाई तस्वीर दिखाना नहीं भूलते। कभी किसी स्कूल की जर्जर छत और कभी टूटी हुई सड़क। वंशवाद के खिलाफ उनके जेहन से उबलकर आवाज निकलती और यही बताने की कोशिश कि यहां विकास की कोई पहल नहीं हुई।

कुमार विश्वास का काफिला अमेठी की जन विश्वास रैली के लिए पूरे विश्वास से आगे बढ़ रहा था। राहगीरों के अभिवादन में उठते हाथ, छत की मुंडेर से झांकती आखें और एक नये परिदृश्य से रूबरू होते लोग, देखकर यही लगता कि लंबे समय बाद स्वत: स्फूर्त लोग सड़कों पर खिंचे चले आए हैं। यह आम आदमी का कमाल था। मगर कुछ खास लोग गुस्से और आक्रोश से भी भरे दिखे। राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र की सीमा में प्रवेश करते ही जगदीशपुर में काले झंडे और सड़े अंडे भी उन पर फेंके गए, तो समर्थन में भी सैकड़ों हाथ लहराये। जिंदाबाद की गूंज सुनाई दी। फिर गौरीगंज से लेकर अमेठी तक समर्थन और विरोध का सिलसिला बना रहा। अमेठी के रामलीला मैदान में प्रवेश के समय भी कुछ पत्थर और अंडे उछले। मगर इससे बेपरवाह उनके कदम मंजिल की ओर थे।

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