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इटावा लायन सफारी में गूंजेगी शावकों की किलकारियां

इटावा लॉयन सफारी में जल्दी ही शावकों की किलकारियां सुनाई देंगी। यहां तीन में से दो शेरनी गर्भवती हो गई हैं। उनकी निगरानी के लिए चिकित्सकों की टीम लगाई गई है। प्रमुख वन संरक्षक डा रूपक डे ने भी शेरनियों के गर्भवती होने की पुष्टि की और कहा कि बस,

By Ashish MishraEdited By: Updated: Fri, 26 Jun 2015 11:21 AM (IST)
लखनऊ (अजय श्रीवास्तव)। इटावा लॉयन सफारी में जल्दी ही शावकों की किलकारियां सुनाई देंगी। यहां तीन में से दो शेरनी गर्भवती हो गई हैं। उनकी निगरानी के लिए चिकित्सकों की टीम लगाई गई है। प्रमुख वन संरक्षक डा रूपक डे ने भी शेरनियों के गर्भवती होने की पुष्टि की और कहा कि बस, अब शावकों के आने का इंतजार है।

350 हेक्टेयर में बन रही इटावा की लॉयन सफारी में प्रजनन के लिए ही वर्ष 2013 में हैदराबाद से एक जोड़ा लाया गया था जिसे कानपुर चिडिय़ाघर में रखा गया था। गुजरात से बबर शेर के चार जोड़ों को लखनऊ चिडिय़ाघर लाकर रखा गया था। सितंबर 2014 में इन सभी जोड़ों को इटावा सफारी भेजा गया था। सफारी में बनाए गए प्रजनन केंद्र में एक माह के दौरान ही एक जोड़े की संक्रमण से मौत हो गई थी। इसे लेकर तमाम आशंकाएं पैदा हो गई थी कि वहां का मौसम और माहौल बबर शेर के अनुकूल नहीं है लेकिन बाद में बचे हुए बबर शेरों की स्थिति में सुधार आने के बाद विशेष निगरानी की जाने लगी।

पूर्व प्रमुख वन संरक्षक व वन्यजीव विशेषज्ञ डा.रामलखन सिंह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में बबर शेर की आबादी बढ़ाने के लिए बनारस के पास चंद्रप्रभा सेंच्युरी में लॉयन सफारी बनी थी। वहां बच्चे भी हुए थे लेकिन किसानों के पशुओं को शेरों ने मारना शुरू कर दिया था जिसके कारण लोगों ने जहर देकर शेरों को मार दिया था। यह घटना तीस साल पहले की है। तब पाया गया था कि बनारस, सोनभद्र और इटावा व उससे जुड़े इलाके बबर शेर के प्रजनन के लिए अनुकूल हैं।

110-120 दिन का होता है गर्भकाल

110 से 120 दिन के गर्भकाल में ही शेरनी एक से लेकर तीन शावकों को जन्म देती है। जन्म के एक साल के भीतर ही शावकों को अलग कर खुली सफारी में छोड़ा जाएगा। दरअसल तीन माह में शावक गोश्त खाने लगता है।

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