राज्यसभा की गणित : अब कांग्रेस ने रालोद से दोस्ती का हाथ बढ़ाया
राज्यसभा व विधानपरिषद चुनाव में वोटों को लेकर मचे घमासान में राष्ट्रीय लोकदल की अहमियत बढ़ गयी है। रालोद के आठ विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के शीर्ष नेता अजित सिंह से संपर्क साध रहे हैं।
By Ashish MishraEdited By: Ashish MishraUpdated: Wed, 08 Jun 2016 03:39 PM (IST)
लखनऊ। राज्यसभा व विधानपरिषद चुनाव में वोटों को लेकर मचे घमासान में राष्ट्रीय लोकदल की अहमियत बढ़ गयी है। रालोद के आठ विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए जहां समाजवादी पार्टी अपने तार जोड़े हुए है वहीं कांग्रेस के शीर्ष नेता अजित सिंह से संपर्क साध कर पुरानी दोस्ती याद दिलाने की कोशिश में है। विधायकों का दिल टटोलने के लिए रालोद मुखिया अजित सिंह ने आज अपने विधायकों को दिल्ली तलब किया है।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अजित सिंह की टेलीफोनिक वार्ता भी हो चुकी है और समर्थन का आश्वासन मिला है।
माना जा रहा है कि रालोद राज्यसभा निर्वाचन में समाजवादी पार्टी व कांग्रेस दोनों को साथ रखना चाहता है ताकि भाजपा के खिलाफ एकजुटता के संदेश विधानसभा चुनाव तक जाएं। बता दें, समाजवादी पार्टी के नेताओं मुलायम सिंह और शिवपाल यादव के साथ में रालोद प्रमुख अजित सिंह कई दौर वार्ता कर चुके हैं। सपा का साथ देने पर सहमति भी बन चुकी है परन्तु रालोद के तीन विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। इसमें से एक विधायक तो खुले तौर पर बसपा का पक्ष लेते दिखायी देते हैं जबकि दो विधायक समाजवादी से दूरी बनाए रखने के पक्षधर हैं। ऐसे में रालोद नेतृत्व को अपनी एकजुटता बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। इसीलिए बीच का रास्ता तलाशने के लिए नाराज विधायकों को कांगे्रस का साथ देने के लिए तैयार किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा प्रत्याशी कपिल सिब्बल के लिए अतिरिक्त वोट की जरूरत होगी। कांग्रेस में कोई बागी न हुआ तो प्रथम वरीयता के पांच वोट चाहिए। उधर विधानपरिषद में दीपक के लिए कांग्रेस विधायकों की संख्या पर्याप्त है परन्तु ओपन वोट न होने के कारण क्रास वोटिंग होने की आशंका अधिक है। अमेठी के निवासी दीपक को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है इसलिए कांग्रेस कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती।
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