आगरा सेंट्रल जेल में 'खुद मुख्तार' अंसारी
आगरा सेंट्रल जेल में रहने के बावजूद अंसारी 'खुद मुख्तार' (मर्जी का मालिक) हैं। अहाते के बाहर नंबरदार और बंदी रक्षकों की तैनाती है, तो खाना क्या खाएंगे इसका मैन्यू वह खुद तय करते हैं।
By Nawal MishraEdited By: Updated: Sat, 02 Apr 2016 09:11 PM (IST)
लखनऊ। आगरा सेंट्रल जेल में रहने के बावजूद अंसारी 'खुद मुख्तार' (मर्जी का मालिक) हैं। अहाते के बाहर नंबरदार और बंदी रक्षकों की तैनाती है, तो खाना क्या खाएंगे इसका मैन्यू वह खुद तय करते हैं। जेल मैनुअल की आड़ में चारदीवारी में भी उन्होंने वह सभी सुविधाएं हासिल कर रखी हैं, जो साधारण बंदी सपने में भी नहीं सोच सकते। आगरा सेंट्रल जेल में मुख्तार अंसारी पांच साल से प्रशासनिक आधार पर रह रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस दौरान उन्होंने यहां पूरा नेटवर्क बना लिया है। जेल के अंदर उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं खड़कता। विधायक होने के कारण सेंट्रल जेल में उन्हें अलग से एक अहाते में रखा जा रहा है। इसमें कूलर, पंखा और टीवी के साथ अन्य सुविधाएं मिली हुई हैं। सूत्रों की मानें, तो जेल प्रशासन अंसारी की मर्जी के बिना उनके अहाते के बाहर नंबरदार और बंदी रक्षक भी तैनात नहीं कर सकता। किस नंबरदार को उनके गेट के बाहर तैनात किया जाए, वह खुद तय करते हैं। उनका चूल्हा भी अलग जलता है। अपनी आंखों के सामने नंबरदार से खाना बनवाने के बाद पहले उसे नंबरदार को खिलाते हैं, उसके बाद खुद खाते हैं। हालांकि जेल अधिकारियों के अनुसार सब कुछ जेल मेनुअल के हिसाब से चल रहा है।
जेल के आसपास कालोनियों में गुर्गे किराएदारसूत्रों के अनुसार अंसारी के गुर्गों ने सेंट्रल जेल के आसपास कॉलोनियों में किराए पर फ्लैट ले रखे हैं। अधिकांश समय जेल परिसर के आसपास ही बने रहते हैं। सेंट्रल जेल के मुख्य गेट और बैरियर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, इसके बाद भी बेरोकटोक उनसे मिलते हैं। जेल के रजिस्टर में इनकी एंट्री नहीं होती। लखनऊ से गल दिवस सेंट्रल जेल में दाखिल होने के बाद अंसारी को उनकी विशेष बैरक में भेज दिया गया।
गुर्गों ने की पत्रकार से मारपीटअंसारी पिछले साल 14 दिसंबर को लखनऊ पेशी पर गए थे। इसके बाद विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए रुक गए। सोमवार को हजरतगंज चौराहे पर धरना-प्रदर्शन के कारण विधायक की एंबुलेंस व जाम में फंसे काफिले का दैनिक जागरण के संवाददाता ने मोबाइल फोन से तस्वीर खींची थी। इस पर विधायक के गुर्गों ने संवाददाता पर हमला बोलकर फोन छीन लिया था और उन्हें अगवा करने की कोशिश की थी। लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसके बाद कारागार मंत्री और प्रमुख सचिव के हस्तक्षेप के बाद उनको वहां से आगरा रवाना कर दिया था।
बारह गुर्गे पूर्व में हो चुके गिरफ्तार अंसारी के काफिले में पुलिस के साथ गुर्गों का साथ चलना पहली बार नहीं है। अप्रैल 2011 में सेंट्रल जेल से पेशी पर दिल्ली जाते समय सिकंदरा हाईवे पर मुख्तार के काफिले पर पुलिस ने छापा मारा था। काफिले में शामिल एक बंदी रक्षक राम प्रकाश समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसे विभाग ने बर्खास्त कर दिया था। इससे पूर्व भी सेंट्रल जेल परिसर के बाहर पुलिस ने अंसारी के गुर्गों की सूचना पर छापा मारा था।डीजीपी आवास के पास होगा नया ठिकाना
यूपी की राजधानी में विधायक मुख्तार अंसारी के कई करीबी सक्रिय हैं। सूत्रों की मानें तो जल्द डीजीपी आवास से कुछ दूरी पर ही विधायक का नया ठिकाना होगा। लखनऊ के डालीगंज क्षेत्र में जमीन भी हासिल कर ली गई है, जहां बाहुबली विधायक अपनी कोठी बनवाने की तैयारी में है। राजधानी में विधायक के कई करीबी ठेकेदार रेलवे से लेकर अन्य विभागों के ठेके लेने के साथ ही अन्य ठेकेदारों को काम दिलाने और उनसे कमीशन वसूलने का काम करते हैं। माफिया मुन्ना बजरंगी व पूर्वांचल का एक बाहुबली विधायक भी इसी कड़ी का हिस्सा बताए जाते हैं। अलीगंज क्षेत्र का एक हिस्ट्रीशीटर बदमाश भी पिछले दिनों विधायक मुख्तार के साथ काफी सक्रिय रहा है। विधायक के करीबी शाहिद के साथ भी इस हिस्ट्रीशीटर को अक्सर देखा गया है। दूसरी ओर बाहुबली विधायक का रियल एस्टेट कारोबारियों से भी काफी लगाव रहा है।लखनऊ में विधायक का नेटवर्क बढ़ापुलिस सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ सालों में विधायक के कई करीबी बिल्डरों के साथ अपने रिश्ते बढ़ा चुके हैं। इनमें डालीगंज क्षेत्र का एक बिल्डर विधायक से रिश्तों को लेकर चर्चा में रहा है। राजधानी में विधायक का नेटवर्क लगातार बढ़ा है। इसे संचालित करने के लिए ही बाहुबली विधायक की राजधानी में आवाजाही खासी मायने रखती है। गत दिनों विधायक की यहां बढ़ती गतिविधियों ने पुलिस अधिकारियों को भी सकते में डाल दिया है। बिना स्थानीय पुलिस को किसी सूचना के विधायक एम्बुलेंस में सवार होकर जेल से केजीएमयू का सफर तय कर रहा था। उसके काफिले में निजी वाहनों में उसके गुर्गे सवार थे। उसने पुलिस अधिकारियों की बेचैनी और बढ़ा दी है। राजधानी में पिछले दिनों गैंगवार की आशंका के बाद बाहुबली विधायक के ऐसे मूवमेंट ने पुलिस के सामने भी सुरक्षा को लेकर नई चुनौती खड़ी कर दी। इसी का परिणाम है कि अब राजधानी पुलिस बाहुबली विधायक की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कराए जाने की सिफारिश कर रही है।
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