सपा घमासानः मुलायम-अखिलेश दोनों को चाहिए अध्यक्ष पद, वार्ता बेनतीजा
मुलायम-अखिलेश वार्ता का दौर सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के करीब पहुंचकर उलझ गया। यह पद छोडऩे को दोनों तैयार नहीं है।
लखनऊ (जेएनएन)। पिता-पुत्र के बीच चला वार्ता का लंबा दौर सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के करीब पहुंचकर उलझ गया। यह पद छोडऩे को दोनों तैयार नहीं है। मुलायम कहते रहे कि रामगोपाल यादव दल से निकाले जा चुके हैं लेकिन अखिलेश उनका कद तक घटाने को तैयार नहीं हुए। 50 मिनट संवाद का नतीजा यहा रहा कि अखिलेश का फैसला स्वीकार किए बिना बात बनने वाली नहीं है।
अखिलेश vs मुलायम: अमर सिंह ने दी आग को हवा
सोमवार की सुबह मुलायम सिंह ने चुनाव आयोग में साइकिल चिह्न पर अपना दावा किया। शाम को लखनऊ पहुंचने के दो घंटे के बाद अखिलेश को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। यह एलान समाजवादी पार्टी की स्थापित परंपरा में बदलाव था मगर मुख्यमंत्री समर्थकों की मांग पूरी करने वाला था। मुलायम ने यह भी कहा कि परिवार एक है। पार्टी टूटने नहीं देंगे और मंगलवार को अखिलेश से बात कर जो मतभेद हैं, उन्हें सुलझा लेंगे। यह सुलह की दिशा में उनका कदम था, मगर अखिलेश के रणनीतिकारों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से कम पर बात नहीं बनने की आशंका जताई थी।
मुलायम के घर इटावा में दो सपा दो फाड़ दिखी, जबरदस्त हंगामा
हुआ भी वही। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव करीब सवा 11 बजे चार विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने आवास के अंदर के रास्ते से 5, विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुलायम के घर पहुंचे। सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच 50 मिनट लंबी चर्चा हुई। मुलायम टिकट बांटने व चिन्ह के लिए आवश्यक फार्मों पर हस्ताक्षर का लिखित अधिकार देने को राजी थे। मुलायम ने अपनी ओर से प्रत्याशी न उतारने की बात भी कही, मगर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर पेंच फंस गई। मुख्यमंत्री तीन महीने के लिए यह पद मांगते रहे मगर मुलायम इसके लिये राजी नहीं हुए। प्रो. राम गोपाल यादव को लेकर भी मामला फंस गया। अखिलेश उनके अधिकारों में कटौती तक को तैयार नहीं थे, जबकि मुलायम कहते रहे कि वह तो पार्टी से निकाले जा चुके हैं। राज्यसभा के सभापति को सूचना दी जा चुकी है। मुलायम ने अखिलेश से चुनाव आयोग से प्रत्यावेदन वापस लेने को भी कहा, तो अखिलेश ने कहा कि पहले आप अपना प्रत्यावेदन वापस लीजिए। बात फंसी तो मुख्यमंत्री उठकर पांच कालिदास मार्ग के लिए निकल गए। यहां उन्होंने अपने समर्थकों से बात की। बुंदेलखंड के बहुचर्चित विधायक और कुछ विधान परिषद सदस्यों से मुख्यमंत्री ने बात की और कहा कि वह जल्द चुनाव प्रचार कार्यक्रम जारी करेंगे।
UP Election 2017:अखिलेश ने एमएलसी सीटों के सपा प्रत्याशी घोषित किए
टिकट भूलकर प्रचार में लगे
मुख्यमंत्री ने समर्थकों से कहा कि अब लखनऊ में कोई काम नहीं है। क्षेत्र में जाइए। बिना यह सोचे हुए कि आपको टिकट मिलेगा या नहीं मिलेगा। समर्थकों की फिक्र मेरा काम है। जिन लोगों को आश्वासन दिया है, उन सबको टिकट मिलेगा। अखिलेश ने कहा कि चुनाव कार्यक्रम बन रहा है। जनसभा व प्रचार का कार्यक्रम बन रहा है। जल्द अभियान शुरू करूंगा। यह भी दोहराया कि नेताजी (मुलायम सिंह) से तीन माह का समय मांग रहा हूं, प्रदेश जीतकर सब कुछ उन्हें सौंप दूंगा। मगर इसकी फिक्र छोड़कर क्षेत्र में जाइए।
UP Election 2017: सपा में लूट का माल बांटने की लड़ाई : महेश
मुलायम ने समर्थकों को बुलाया
मुख्यमंत्री के घर से निकलने के बाद मुलायम सिंह यादव सपा के संस्थापक सदस्य व पूर्व मंत्री भगवती सिंह, एमएलसी अशोक बाजपेयी, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार शारदा प्रताप शुक्ला, नरेंद्र मणि और फाकिर सिद्दीकी को बुलाया और पार्टी खड़ी करने में हुए संघर्ष, बलिदान का जिक्र किया। मगर पुत्र अखिलेश यादव के साथ हुई बात का सीधा जिक्र नहीं किया। इसके बाद मुलायम ने सपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय सेठ और मंत्री गायत्री प्रजापित को बुलाकर लंबी चर्चा की।
यूपी इलेक्शन 2017:जानें चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता
मुलायम मीडिया से करेंगे बात
पिता-पुत्र के बीच बातचीत का ब्यौरा जानने के लिए सुबह से ही विक्रमादित्य मार्ग पर खड़े पत्रकारों को मुलायम सिंह यादव की ओर से संदेश भेजा गया कि वह जाएं। बुधवार वह मीडियाकर्मियों से बात करने का संदेश भेजेंगे।
अखिलेश V/S मुलायमः SP कुनबे की रार से समर्थकों में भ्रम, प्रत्याशी मायूस
अब क्या हैं विकल्प
अब एक को सरेंडर करना होगा, तभी बात बनेगी। अखिलेश के झुकने की संभावना कम है,ऐसे में बेटे का राजनीतिक करियर ऊंचाई पर ले जाने को मुलायम राजनीति से तीन माह के अवकाश का विकल्प चुन सकते हैं। या चुनाव आयोग के फैसला का इंतजार करें, अगर साइकिल हिस्से में आती है, तो चिन्ह के बहाने सुलह का रास्ता खोलें। सूत्रों का कहना है कि अब कई लोग एक कठिन विकल्प भी सुझा रहे हैं कि मुलायम राजनीतिक सन्यास की घोषणा कर बेटे को सब कुछ सौंप दें, मुलायम के संघर्षशील व्यक्तित्व को देखते हुए यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। या फिर पिता के दबाव में अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से अपना दावा छोड़ दें।
इलाहाबाद में चुनावी परिचर्चा में बवाल, कुर्सियां फेंकी और वाहन में तोडफ़ोड़