Move to Jagran APP

कुदरत भी नहीं धो सकी दरिंदगी के निशान

लखनऊ(आलोक मिश्र)। राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा गाव के प्राथमिक विद्यालय परिसर

By Edited By: Updated: Sun, 20 Jul 2014 10:28 AM (IST)
Hero Image

लखनऊ(आलोक मिश्र)। राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा गाव के प्राथमिक विद्यालय परिसर में बुधवार रात महिला से की गई दरिंदगी के निशान इतने गहरे हैं कि उसे कुदरत भी धो नहीं सकी है। दो दिनों से हुई बारिश के बाद अब यहा कीचड़ है। हर कदम संभाल कर रखना पड़ता है, लेकिन भीतर पहुंचने के बाद बरामदे व हैंडपंप पर मौजूद खून के धब्बे अब भी उस दर्दनाक मंजर को बयान कर रहे हैं।

मोहनलालगंज कोतवाली से लेकर बलसिंह खेड़ा गाव के बीच कल भी पुलिस, समाजिक संगठन के कार्यकर्ता व मीडियाकर्मियों के वाहन दौड़ते रहे। पुलिस अधिकारियों के चेहरों पर जहा तनाव नजर आया, वहीं प्राथमिक विद्यालय परिसर पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों के चेहरों पर चिंता और अफसोस का भाव था। नजरें हल्के पड़ चुके खून के धब्बों पर पड़ते ही हर किसी के मुंह से हे भगवान ही निकलता। हैंडपंप के हत्थे से लेकर बरामदे में बाकी खून के निशान हैवानियत के सबूत के तौर पर अब भी गहरे सवाल खड़े करते हैं। यहा बारिश का पानी भले ही जमीन पर बिखरे खून को धो चुका है, लेकिन पुलिसिया संवेदनहीनता का दाग अभी बाकी है। यहा एक कोने पर बनी सीमेंट की बेंच व उसके पास झाड़ियों में भी खून बिखरा मिला था। महिला के साथ की गई दरिंदगी के दौरान उसे इस स्थान पर भी देर तक उसे तड़पाया गया था।

विद्यालय परिसर में मुख्य गेट से भीतर प्रवेश करने के बाद बाईं ओर पड़ने वाले भूकंप रोधी भवन के बरामदे के सामने महिला का शव औंधे मुंह पड़ा था। इस क्रइम सीन पर अभी पुलिस की ओर से बाधी गई प्लास्टिक की डोरी लटक रही है, लेकिन घटना की सूचना के बाद पहुंचे इंस्पेक्टर व दारोगा ने यहीं खड़े होकर वर्दी की मर्यादा को दो दिन पहले ही तोड़ दिया था। तब पुलिस ने लोगों के कदम रोकने के लिए डोरी नहीं बाधी थी, लेकिन खाकी के सामने ही अमानवीयता के कदमों ने महिला की मौत के बाद भी उसकी अस्मत को रौंदा था। उसकी निर्वस्त्र तस्वीरें खींची और बाटी गई थीं। पुलिस भले ही जल्द आरोपितों को गिरफ्तार कर अपने कर्तव्य को पूरा मान लेगी, लेकिन उसकी इस शर्मनाक चूक की भरपाई बेहद मुश्किल है।

-------------------

काश उसने मान ली होती बेटी की बात

दरिंदगी का शिकार हुई महिला की 13 वर्षीय बेटी ने बुधवार रात अपनी मा को घर से जाने से रोका था। काश उसने बेटी की बात मान ली होती, तो शायद हैवानियत का शिकार न होती। बैकुंठधाम में शुक्रवार देर रात जब परिवारीजनों ने महिला के शव का अंतिम संस्कार किया, तब उसकी 13 वर्षीय बेटी व छह वर्षीय बेटा भी वहा मौजूद था। बेटे को इसका आभास तक नहीं था कि उसकी मा अब कभी लौटकर नहीं आएगी। वह अपने नाना के पास रेलिंग पर खड़ा था। उनसे बार-बार पूछ रहा था कि क्या मैं अब आपके साथ जाउंगा। नाना खामोशी से उसे निहार रहे थे। उनकी आखों में आसू भरे थे। वहीं पास खड़ी महिला की बेटी ने बताया कि एक व्यक्ति ने उसकी मा को 15 जुलाई को भी फोन किया था। वह उसकी मा को परेशान कर रहा था। बाद में उसने 16 जुलाई की रात भी उन्हें फोन किया। बेटी की मानें तो उसने मा को घर से जाने से रोका था। वह नहीं चाहती थी उसकी मा बाहर जाएं। बेटी ने बताया कि फोन आने के बाद उसकी मा तनाव में थी। बेटी को मा के देर रात तक वापस न आने पर किसी अनहोनी का डर भी सताने लगा था। मा का फोन बंद होने की वजह से उसकी बेचैनी और बढ़ी हुई थी। बाद में मा की हत्या की सूचना मिलने पर वह फफक पड़ी।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।