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नवरात्र में है प्रतिपदा की हानि, 28 को करें कलश स्थापना

पं.राधेश्याम शास्त्री ने बताया कि निर्णय सिंधु के अनुसार प्रतिपदा 28 मार्च को सुबह 8:27 बजे से 29 को सुबह 5:45 बजे तक रहेगी। सूर्योदय न होने की वजह से प्रतिपदा की हानि है।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Sat, 25 Mar 2017 04:22 PM (IST)
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नवरात्र में है प्रतिपदा की हानि, 28 को करें कलश स्थापना
लखनऊ [जितेन्द्र उपाध्याय]। नवरात्र पर कलश स्थापना को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। निर्णय सिंधु के अनुसार प्रतिपदा में ही कलश स्थापना करना उत्तम होगा। पं.राधेश्याम शास्त्री ने बताया कि निर्णय सिंधु के अनुसार प्रतिपदा 28 मार्च को सुबह 8:27 बजे से लग जाएगी और 29 को सुबह 5:45 बजे तक रहेगी।
प्रतिपदा में सूर्योदय न होने की वजह से प्रतिपदा की हानि है।

मां की कलश स्थापना प्रतिपदा में ही करने का प्रावधान है। 28 को प्रतिपदा के 16 घटी (छह घंटे और 24 मिनट) के बाद अपराह्न 2:51 बजे से सूर्यास्त के पहले कलश स्थापना की जा सकती है। 29 को सूर्योदय के पहले द्वितीया लग जाएगी। श्रद्धालु 29 को प्रतिपदा समापन के पहले (सुबह 5:45) कलश स्थापना कर सकते हैं। चार अप्रैल को अष्ठमी पूजन के साथ ही पांच अप्रैल को नवमी की पूजा होगी। वहीं आचार्य प्रदीप तिवारी का कहना है कि द्वितीया की हानि की वजह से 29 को सूर्योदय से लेकर शाम पौने पांच बजे तक कलश स्थापना की जा सकती है।

मिट्टी के ऊपर करें कलश स्थापना
मां की पूजा से पहले कलश स्थापना करना चाहिए। पं.राधेश्याम शास्त्री ने बताया कि कलश स्थापना के लिए मिट्टी या धातु के बने कलश में पानी और डाल में लगे आम के पत्तों के ऊपर ढक्कन में चावल रखें। कलश के नीचे काली मिट्टी में जौ की बुआई करे और हर दिन उसमें पानी डालते रहें। घट स्थापन के उपरांत श्रद्धालुओं को 'ऊं दुर्गे दुर्गे रक्षिणि स्वाहा का जप करना चाहिए। अंतिम दिन नदी व सरोवर में कलश का विसर्जन करना उत्तम होगा।

मंदिरों में 29 से होगा मां का गुणगान
नवरात्र को लेकर मंदिरों में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। ठाकुरगंज के मां पूर्वी देवी एवं महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार शुक्ला ने बताया कि 29 से पांच अप्रैल तक हर दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा। मंदिर में दर्शन के विशेष इंतजाम किए गए हैं। चौक के बड़ी व छोटी काली जी मंदिर के पास मेले को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। शास्त्री नगर के दुर्गा मंदिर में हर दिन मां का गुणगान होगा। स्वरूप के अनुसर मेवे से मां का दरबार सजाया जाएगा। गुलाचिन मंदिर, विन्ध्याचल मंदिर, इंद्रेश्वर मंदिर, व तुलसी मानस मंदिर के साथ ही आलमबाग के दुर्गा मंदिर व मौनी बाबा मंदिर समेत सभी दुर्गा मंदिरों में विशेष पूजा की जाएगी।  

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