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मिशन बिजनौर की कमान अब एनआइए के पास

लखनऊ। बिजनौर में विस्फोट के बाद फरार छह सिमी के आतंकियों को खोजने का मिशन अब नेशनल इं

By Edited By: Updated: Thu, 18 Sep 2014 02:37 PM (IST)
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लखनऊ। बिजनौर में विस्फोट के बाद फरार छह सिमी के आतंकियों को खोजने का मिशन अब नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) ने संभाल ली है। एनआइए ने आज से ही अपना काम भी शुरू कर दिया है। 12 सितंबर को बिजनौर के जाटन में एक मकान में विस्फोट के बाद से वहां रहने वाले सभी लोग फरार है।

पुलिस के साथ जांच में लगी एसटीएफ तथा एटीएस उत्तर प्रदेश ने इन फरार आतंकियों के कमरे से एल्बो पाइप में भरा विस्फोटक, तार लगा सिलेंडर, नाइन एमएम की पिस्टल, डेटोनेटर, लैपटॉप, बारूद, फर्जी मतदाता पत्र आदि बरामद किया था। इसके बाद से ही बिजनौर पुलिस, एसटीएफ और नोएडा व मेरठ की एटीएस लगातार आतकियों को दबोचने के लिए अभियान छेड़े हुए है। आईबी व अन्य खुफिया एजेंसी भी खोजबीन में जुटी हैं। पाच दिन बाद भी सुराग नहीं मिलने से कयास लगाये जा रहे हैं कि आतंकी भाग चुके हैं।

नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी की टीम ने कल से मोर्चा संभाला। डीएसपी पीके अवस्थी टीम के साथ मोहल्ला जाटान पहुंचे और आतंकियों के कमरे को देखा। थाने पहुंचकर आतंकियों के कमरे से बरामद सामान की जाच की।

एटीएस व एसटीएफ मान रही है कि आतकी जिले में ही कहीं पनाह लिए हुए हैं और टीमें इनके ठिकानों और मददगारों की तलाश में भागदौड़ कर रही हैं। पुलिस के साथ अन्य टीमें भी बिजनौर के आसपास के आधा दर्जन गाव के अलावा धामपुर, नगीना और नजीबाबाद तहसील क्षेत्र के चिह्नि्त गावों में भी छापे मार रही हैं।

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आतंकियों के कमरे में थी 'विस्फोटक लैब'

बिजनौर के जाटान मुहल्ले में इन आतंकियों का कमरा उनका ठिकाना ही नहीं बल्कि लैब भी था। कमरे से बरामद ब्लैक पाउडर को जानकार आरडीएक्स मान रहे हैं। आतंकियों के कमरे का विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक व अन्य विशेषज्ञों ने भी गहनता से परीक्षण किया है। उन्होंने दरवाजे व दीवार पर बने निशानों को परखा है। बारुद के निशानों से प्रतीत होता है कि वह विस्फोटक सामग्री का वहीं परीक्षण करते थे। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की टीम को आइईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) मिली हैं। इसे बम बनाने के काम में इस्तेमाल किया जाता रहा है। ब्लैक पाउडर को विस्फोट के लिए लाए जाने की आशका जताई जा रही है। आरडीएक्स (रिसर्च डेवलपमेंट एक्सप्लोसिव) प्रतीत होने वाला ब्लैक पाउडर बम बनाने के काम आता है। वैज्ञानिकों की टीम को मौके से माचिस की तीली का भूरा पाउडर, खिड़की की काच, लोहे के पाइप, एल्बो और टेप से तार जुड़ा ढाई किलो का रसोई गैस सिलेंडर मिला। इनका भी इस्तेमाल बम बनाने में किया जाता है, साथ ही इनके परीक्षण के निशान भी मिले हैं। दीवार पर मारकर इसकी तीव्रता नापी जाती थी। विधि विज्ञान प्रयोगशाला के विशेषज्ञ डॉक्टर अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि आगरा की फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट से खुलासा हो जाएगा कि बारूद का पाउडर कितना खतरनाक था।

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स्लीपिंग माड्यूल्स की तलाश में छापेमारी

पुलिस ने मुरादाबाद की नई कालोनियों में स्लीपिंग मॅाड्यूल्स की तलाश तेज कर दी है। लखनऊ से आई एटीएस टीम के इंचार्ज ने मूंढापाडे, भोजपुर और भगतपुर थानों से गायब अपराधियों की सूची लेकर उनकी खोज शुरू कर दी है। डीआइजी गुलाब सिंह ने बताया कि स्लीपिंग माड्यूल्स की तलाश में छापेमारी तेजी से की जा रही है।

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झुलसे आतंकी की हो सकती है मौत

बिजनौर में शुक्त्रवार को हुए विस्फोट में एक आतंकी गंभीर रूप से झुलस गया था। झुलसे आतंकी के साथी उसे लेकर फरार हो गए थे। घटना के छह दिन बाद भी उनका कोई सुराग नहीं लग सका है। चिकित्सकों का मानना है कि इलाज नहीं मिलने से झुलसे आतंकी की मौत भी हो सकती है। जाटान की लीलावती के मकान में हुए सुबह विस्फोट में एक आतंकी गंभीर रूप से झुलस गया था। माना जा रहा है आतंकवादी 50 प्रतिशत से अधिक झुलसा है। घटना के बाद आतंकी झुलसे साथी का एक निजी चिकित्सक के यहा प्राथमिक उपचार कराकर फरार हो गये थे। पुलिस प्रशासन का मानना था कि आतंकी अपने झुलसे साथी का कहीं न कहीं उपचार अवश्य ही कराएंगे। संभावना थी कि आतंकी साथी का किसी निजी डाक्टर अथवा सरकारी अस्पताल या झोलाछाप चिकित्सक के यहा उपचार अवश्य ही कराएंगे। इसकी संभावना को देखते हुए एसपी सतेंद्र कुमार सिंह ने सीएमओ डा. शशि कुमार अग्निहोत्री को फोन कर किसी भी संदिग्ध झुलसे रोगी के सरकारी अस्पताल अथवा निजी डाक्टर या झोलाछाप चिकित्सक से उपचार कराने आने की सूचना उन तक पहुंचाने को कहा था। सीएमओ ने आइएमए के साथ पीएचसी-सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को सूचना देने के आदेश दिए थे। छह दिन बीतने के बाद भी आतंकी अपने झुलसे साथी का उपचार कराने किसी भी चिकित्सक के पास नहीं पहुंचे। इसकी पुष्टि सीएमओ ने की है। जिला अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ परामर्शदाता डा. ज्ञान चंद का कहना है कि पचास प्रतिशत से अधिक झुलसे रोगी को बहुत देखभाल की आवश्यकता होती है। रोगी को अलग कमरे में ढककर रखा जाता है। रोगी के उस हिस्से से जो झुलसा है, पानी का रिसाव होने लगता है। ऐसे में उसके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। साथ ही शरीर में संक्रमण भी हो सकता है। इस कारण समय से उपचार नहीं मिलने के कारण रोगी की मौत भी हो सकती है।

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मुरादाबाद बना मैसेज पासिंग सेंटर

आतंकियों की शरणस्थली बने मुरादाबाद के तार समुंदर पार पाक व खाड़ी देशों से जुड़े हैं। देशभर में फैले आतंकियों ने मुरादाबाद को 'मैसेज पासिंग सेंटर' बना लिया है। मुरादाबाद के बेसिक फोन के जरिए मुम्बई से दी गईं सूचनाएं पाकिस्तान समेत खाड़ी देशों तक भेजी जा रही थीं। एटीएस मुम्बई ने यहां के सिविल लाइंस निवासी एक डॉक्टर का बेसिक फोन नंबर ट्रेस किया तो बेहद चौंकाने वाली बातें सामने आयीं। मुम्बई के आइजी एटीएस निकेत कौशिक के गोपनीय पत्र पर बीएसएनएल के महाप्रबंधक ने इस नंबर के चार वर्षो के बिल व फोन धारक के नाम-पते का पूरा ब्योरा भेज दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक चिकित्सक ने फोन कनेक्शन 18 अक्टूबर 2010 को लिया था। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक कि महाराष्ट्र एटीएस को आतंकियों द्वारा देश से बाहर सूचना भेजने की जानकारी मिली है, जिसमें मुरादाबाद शहर के इसी फोन का प्रयोग किया गया था। अब आतंकी पकड़ से बचने को मोबाइल के बजाए बेसिक फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल पर सर्विलास और उसके बारे में जानकारी करना गुप्तचर एजेंसी व एटीएस के लिए आसान है, जबकि बेसिक फोन की निगरानी बेहद मुश्किल। बीएसएनएल के महाप्रबंधक राम शब्द यादव ने बताया कि एटीएस महाराष्ट्र को मागी गई गोपनीय सूचना भेज दी गई है।

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