ई-पेंशन प्रणाली लागू
लखनऊ। अब सरकारी विभागों में किसी फर्जी व्यक्ति को शामिल कर उसका वेतन नहीं निकाला जा सकेगा। नइ
By Edited By: Updated: Thu, 06 Feb 2014 03:26 AM (IST)
लखनऊ। अब सरकारी विभागों में किसी फर्जी व्यक्ति को शामिल कर उसका वेतन नहीं निकाला जा सकेगा। नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी व नियोक्ता अंशदान की अपने आप कटौती भी हो जाएगी। पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारी कोड आहरण वितरण अधिकारी (डीडीओ) द्वारा भरे जाने पर कर्मचारी से संबंधित जरूरी डाटा ई-पेंशन प्रपत्र में स्वत: ही भर जाएंगे और इन शुद्ध आंकड़ों से पेंशन प्राधिकार पत्र तैयार हो सकेंगे।
यह संभव हो सकेगा एकीकृत भुगतान एवं लेखा कार्यालय के जरिये। अभी विभागों द्वारा राज्य कर्मचारियों के वेतन देयक तैयार कर कोषागार से उसका भुगतान कराया जाता है। निदेशक कोषागार महेश कुमार अग्निहोत्री ने बताया कि इस प्रक्रिया में बदलाव करते हुए अब सभी कर्मचारियों का डाटाबेस कोषागार में रखा जाएगा और इससे ही वेतन देयक तैयार किये जाएंगे। इसे अपलोड कर कोषागार सर्वर पर ऑनलाइन प्रस्तुत किया जाएगा। परीक्षण के बाद कोषागार ई-पेमेंट के जरिये संबंधित कर्मचारी के खाते में धनराशि डाल देगा।पेंशनरों की सुविधा के लिए ई-पेंशन सुविधा भी लागू की गई है। इसके तहत मेनुअल आधार पर तैयार किये गए पेंशन प्रपत्र की बजाय ई-प्रपत्र डीडीओ द्वारा अपलोड किये जाएंगे। अपलोड किये गए पेंशन प्रपत्र ऑनलाइन पेंशन स्वीकर्ता अधिकारी को उपलब्ध कराये जाएंगे और प्रत्येक स्तर पर इसकी सूचना को मोबाइल पर संदेश भेजकर दी जाएगी। कोषागार से भुगतान से पहले पेंशनर को अपने अंगूठे का निशान बायोमेट्रिक डिवाइस में देना होगा। इसके बाद पेंशनर को साल में एक बार अपने जीवित रहने का प्रमाणपत्र देने की बजाय किसी भी स्थान से बायोमेट्रिक डिवाइस पर अंगूठे का निशान इंटरनेट के जरिये ट्रेजरी सिस्टम से भेजना होगा जो कि उसके जिंदा रहने का प्रमाण होगा। सभी कोषागारों का ऑनलाइन डाटाबेस एनआइसी के सेंट्रल सर्वर पर और इसका बैकअप वित्तीय सांख्यिकीय निदेशालय में स्वत: प्राप्त करने की व्यवस्था की जा रही है। हाल ही में बाराबंकी कोषागार में प्रायोगिक तौर पर यह व्यवस्था लागू की जा चुकी है जिसे सभी कोषागारों में लागू करने की योजना है। इससे कोषागार स्तर पर भुगतान कराये जाने वाले देयकों का पूरा विवरण एक जगह हो सकेगा और इसका उपयोग अन्य संस्थाएं कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि अभी तक मैनुअल चालान के आधार पर राजकीय प्राप्तियों को स्वीकार किया जाता है। अब इसके स्थान पर ई-रिसीट व्यवस्था लागू की गई है।
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