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गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में विलय

कौमी एकता दल को समाजवादी पार्टी के महासचिव तथा उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2016 05:30 PM (IST)
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लखनऊ (वेब डेस्क)। माफिया से नेता बने दो विधायकों के कौमी एकता दल का आज समाजवादी पार्टी में विलय हो गया। कौमी एकता दल को समाजवादी पार्टी के महासचिव तथा उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।

माना जा रहा है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस विलय के पक्ष में नहीं थे। कैबिनेट मिनिस्टर शिवपाल सिंह यादव ने अपने वीटो का प्रयोग कर आगरा जेल में बंद गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल से समझौता कर लिया।

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अब कौमी एकता दल समाजवादी पार्टी का हिस्सा है। उसका पूर्णरूप से समाजवादी पार्टी में विलय हो चुका है। शिवपाल सिंह यादव के साथ विधायक सिबगतुल्ला अंसारी ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। इससे पहले मुख्तार अंसारी के भाई और कौमी एकता दल के अध्यक्ष पूर्व सांसद अफजाल अंसारी आज दिन में शिवपाल सिंह यादव से मिले और पार्टी के विलय की औपचारिकता को सुनाश्चित किया।

इस मौके पर शिवपाल ने कहा कि अंसारी की समाजवादी पार्टी में घर वापसी हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्तार तथा अफजाल अंसारी की वजह से समाजवादी पार्टी मजबूत होगी। हम मुख्तार और अफजाल का पार्टी में स्वागत करते हैं। शिवपाल ने कहा कि प्रदेश में सरकार बहुत कुछ कर रही है। चार वर्ष में हर क्षेत्र में विकास की राह हर क्षेत्र में खुली है। उन्होंने कहा कि हम सभी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हमको भरोसा है कि समाजवादी पार्टी की प्रदेश की सत्ता में वापसी होगी।

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शिवपाल ने कहा कि मैं उन सभी लोगों को स्वागत करना चाहता हूं जो समाजवादी पार्टी की विचारधारा पर कार्य कर रहे हैं। पार्टी उस विचारधारा पर काम करेगी जो समाज के लिए है। सपा में गांधीवादी, लोहियावादी, चौधरी चरणसिंहवादी शामिल हैं। अब जब सभी मिलेंगे तो किसी को कुर्सी नहीं मिलेगी।

मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी कौमी एकता दल के अध्यक्ष हैं। दो अन्य भाई मुख्तार व और सिबकतुल्ला अंसारी पार्टी के दो विधायक हैं। इस विलय से सपा पूर्वांचल में मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश में है।

आज सुबह तक नहीं थी विलय की सुगबुगाहट

कल दिन के बाद आज सुबह तक जिसकी आशंका समाप्त थी वह दोपहर में हो गई। तमाम उतार-चढ़ाव और हां-ना के बीच साबित हो गया कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी नेतृत्व किसी भी बात पर एकमत नहीं है। दो विधायक वाले कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय पर आज सुबह तक कोई सुगबुगाहट नहीं थी। मुख्यमंत्री तथा समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव ही माफिया मुख्तार अंसारी के इस दल के पार्टी में विलय के पक्ष में नहीं थे। प्रदेश के सत्ता के गलियारे में बीते पखवारे से जोरदार चर्चा थी कि पूर्वांचल के मुस्लिमों को लुभाने की खातिर समाजवादी पार्टी दो विधायक वाले कौमी एकता दल का विलय कर लेगी।

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कल ही सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और दो विधायकों वाले कौमी एकता दल के बीच गठजोड़ के कयासों पर विराम लग गया था।गाजीपुर, आजमगढ़, देवरिया, मऊ में सियासत करने वाले समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का सपा में विलय या फिर गठबंधन की कार्य योजना तैयार की थी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ इन्कार कर दिया था। वर्ष 2012 के चुनाव के समय भी अखिलेश यादव ने डीपी यादव को पार्टी में लेने से इन्कार किया था।

कौमी एकता दल के माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी मऊ से और बड़े भाई सिबगतुल्ला अंसारी मोहम्मदाबाद से विधायक हैं। इनके एक भाई अफजाल अंसारी कौमी एकता दल के अध्यक्ष हैं। अफजाल अंसारी 2004 में गाजीपुर से सांसद थे, 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा से ताल ठोंकी लेकिन पराजय झेलनी पड़ी।

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