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स्पीक एशिया : टेक्नीशियन से बन गया 'महाठग'

लखनऊ। स्पीक एशिया के जरिये देश और विदेश के लाखों लोगों ठगने वाले शातिर दिमाग शाहजहांपुर में

By Edited By: Updated: Thu, 28 Nov 2013 02:00 AM (IST)

लखनऊ। स्पीक एशिया के जरिये देश और विदेश के लाखों लोगों ठगने वाले शातिर दिमाग शाहजहांपुर में एक छोटे से गांव की गलियों में ही पले पढ़े। नाम है-रामसुमिरन पाल व रामनिवास पाल। दोनों भाइयों ने ऊंचे ख्वाब और शातिर दिमाग के दम पर उन्होंने न पूरी दुनिया में ठगी का जाल फैलाय बल्कि अरबों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया। रामसुमिरन पाल ने गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई शुरू की और मार्केटिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। रामनिवास को मार्केटिंग के जरिये लोगों को सब्जबाग दिखाकर ठगी का रास्ता इतना भाया कि एयरफोर्स की नौकरी भी त्याग दी।

उनकी गिरफ्तारी के बाद 'दैनिक जागरण' ने उनके बारे में पड़ताल की। कभी नजदीकी रहे लोगों से ठगों के बारे में जाना। ग्रामीणों ने बताया, दोनों भाइयों में बचपन से ही साधारण परिवेश से निकलकर दुनिया मुट्ठी में करने का जज्बा हिलोरे मारता था। रामसुमिरन पाल के बोलचाल, दूसरों को अपनी बात मनवाने का हुनर बेमिसाल और लाजवाब रहा।

दोनों महाठगों के पिता वेदराम शाहजहांपुर जनपद के थाना सेहरामऊ दक्षिणी के गांव नागर पाल के साधारण किसान थे। रामनिवास की इंटर तक पढ़ाई के बाद एयरफोर्स में नौकरी लग गई। शाहजहांपुर के जीएफ कॉलेज से स्नातक करने के बाद रामसुमिरन ने रुड़की से पीजीडीसीए किया। इसी बीच तेज दिमाग रामनिवास ने एयरफोर्स की नौकरी के दौरान ही कई मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनियों को ज्वाइन कर काम सीखना शुरू कर दिया।

मार्केटिंग में मोटी कमाई देख रामनिवास ने 1997 में एयरफोर्स की नौकरी छोड़ दी। कुछ दिन बाद ही खुद की स्पीक एशिया, दि एडमेटरिक्स, सेवन रिंग्स समेत कई निजी मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी बना ली। मुंबई में कंपनी का मुख्यालय बनाकर अपने भाई रामसुमिरन पाल को भी बुला लिया।

जानकार बताते हैं, दोनों भाइयों ने नेट के जरिया विश्व भर में जाल बिछाकर पांच हजार करोड़ से अधिक का कारोबार किया। इस बीच दोनों भाइयों ने शाहजहांपुर में भी मोटा निवेश किया। करोड़ों का होटल, बेशकीमती जमीन, 60 बीघा का बाग समेत बड़ी प्रापर्टी खरीदी। उनके पकड़े जाने के बाद पुलिस ने उसे भी रिकार्ड में दर्ज कर लिया है।

नेट के जरिए शादी : महाठगी के आरोप में घिरे स्पीक एशिया के मालिक दोनों भाइयों ने इंटरनेट को तरक्की का जरिया बनाया। उन्होंने नेटवर्किग कंपनी के संचालन से लेकर व्यक्तिगत जीवन तक में नेट पर ही भरोसा जताया। यही वजह थी कि अरबों रुपये का साम्राज्य खड़ा करने के अलावा दोनों ने शादियां भी नेट पर दोस्ती के जरिये रचाईं।

कंपनी के कारोबार के दौरान रामनिवास पाल का प्रीति पाल से प्रेम हो गया। दांपत्य सूत्र में बंधने के बाद प्रीति ने कंपनी के मुख्यालय का कामकाज भी संभाल लिया। इसी तरह देहरादून कारोबार के दौरान चैटिंग करते हुए रामसुमिरन को मेघा दिल दे बैठी। उसने भी प्रीति की तरह पति के कारोबार में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और उनकी ब्रांड अंबेसडर बन गई। इन चारों की जुगलबंदी की बदौलत स्पीक एशिया समेत उनकी सहयोगी कंपनियां आसमान से आगे तक सपनों का सफर तय कर आईं।

गांव में उतारा स्वर्ग : दोनों भाई पत्नियों को लाइफ पार्टनर के साथ ही बिजनेस पार्टनर भी मानते है। यही वजह है कि पत्नियों के गृह ग्राम आने पर उनके लिए गांव की ''ची गलियों में स्वर्ग उतार दिया। शादी के बाद रामनिवास और रामसुमिरन ने झोपड़ीनुमा घर को आलीशान बंगले का रूप दे दिया। तीन मंजिला शीशे के मकान में फिल्टर पानी के इंतजाम से लेकर एसी भी मौजूद हैं। चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति के लिए जनरेटर लगा है। महानगरों की तरह अन्य सभी सुख सुविधाएं भी जुटाई। यह दीगर बात है कि इन सुख सुविधाओं के प्रयोग के लिए कई सालों से मेघा और प्रीति यहां नहीं आई।

अपनों को बिसराया: अथाह संपत्ति ने दोनों भाइयों को अपनों से जुदा कर दिया। जबकि चचेरे भाई पूर्व प्रधान राजेंद्र पाल समेत सभी ने पढ़ाई के दौरान उनकी भरपूर मदद की थी। बता दे कि रामनिवास के स्व. ताऊ वीरबल के सुपुत्र शिशुपाल और रक्षपाल दूध, घी का काम करते हैं। महेंद्रपाल की खाद की दुकान है। दूसरे नंबर के ताऊ पूरनलाल के सुपुत्र राजेंद्र पाल गांव के प्रधान रहे। उन्होंने पढ़ाई में मदद भी की। सुरेंद्र पाल गांव में खेती करते हैं। गोविंद डेयरी चला रहे। इंजीनियर अरविंद पाल विधानसभा का चुनाव लड़ चुके है। आज आर्थिक शक्ति बने दोनों भाइयों ने इस परिवार की कोई मदद नहीं की। फिलहाल उनके चचेरे भाई रामसरन और भगवत सहाय फरीदपुर में बस गए। प्रमोद गांव में खेती करते हैं। सगे भाई रजनीश और अंकित अभी पढ़ रहे हैं। बहन अनीता मां चंद्रा और पिता वेदराम के साथ रहती है।

उद्योगों में लगाया पैसा : रामनिवास और रामसुमिरन ने सफेद पोश नेताओं की मध्यस्तता से जनपद समेत कई औद्योगिक इकाइयों को भी करोड़ों की आर्थिक मदद की। इन कंपनियों ने उन्हें बिजनेस पार्टनर के रूप में शेयर का भी वायदा किया है।

रिक्शा चलाते हैं मामा : तिलहर जई निवासी ओमप्रकाश रामनिवास और रामसुमिरन के सगे मामा हैं। यहीं रहकर दोनों भाइयों ने हाईस्कूल, इंटर की पढ़ाई के दौरान आते-जाते थे। मुंबई जाने के बाद दोनों मामा ओमप्रकाश और रमेश को भूल गए। ओमप्रकाश आज भी रिक्शा चलाकर जिंदगी गुजार रहे हैं और भांजे की कारस्तानी के बाद रिश्ता स्वीकारने और घर पर रहने से भी हिचकिचा रहे हैं।

पांच साल से नहीं मिले बेटे : स्पीक एशिया के सीइओ रामसुमिरन पाल की मां चंद्रावती पाल बेटे की करतूत से बेहद आहत हैं। वे मीडिया से भी बातचीत से बचती रहीं। काफी कुरेदने पर बोलीं, पांच साल से रामसुमिरन और रामनिवास उनसे दूर हैं। पता नहीं, कहां हैं वे। चंद्रावती पाल ने बताया कि राम सुमिरन ने देहरादून निवासी आयुध निर्माणी के एक अधिकारी की बेटी मेघा से शादी की। इसके बाद वह बहू के साथ वहीं रहने लगा। इसी तरह रामनिवास और बहू प्रीति से भी पांच साल से घर नहीं आई।

परिवारी जन बेदाग : नागर पाल गांव के प्रधान ओम प्रकाश गौतम का कहना है कि रामनिवास और रामसुमिरन गांव लंबे अर्से से नहीं आए। रामसुमिरन के 12 चचेरे व दो अन्य सगे भाई हैं। पारिवारिक सूत्रों को कहना है कि दोनों ने अन्य को भी अपने बिजनेस में शामिल होने का प्रस्ताव दिया लेकिन वे लालच में नहीं आए। एक चचेरे भाई पर यूपी हेड बनाने का भी जाल फेंका। नागर पाल निवासी सेवाराम का कहना है कि राम सुमिरन व राम निवास की ठगी से गांव की बदनामी हुई है। जबकि उन्होंने गांव और परिवार के लिए कुछ भी नही किया।

पांच घंटे पूछताछ : दिल्ली की अपराध शाखा के सदस्यों ने राम सुमिरन की मां चंद्रावती पाल, पिता वेदराम समेत गांव के आधा दर्जन लोगों से सोमवार को पांच घंटे तक पूछताछ की थी। दो लोगों को पुलिस अपने साथ भी ले गई, लेकिन पूछताछ के बाद छोड़ दिया।

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