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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 'बड़ा चेहरा' होंगे राजनाथ सिंह!

मिशन 2017 के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह भाजपा में 'बड़ा चेहरा' होंगे। पार्टी ने सभी होर्डिंग व पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अध्यक्ष अमित शाह के साथ राजनाथ सिंह का चेहरा शामिल करने का फरमान जारी किया है।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2016 12:27 PM (IST)
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इलाहाबाद [श्रीनारायण मिश्र] । मिशन 2017 के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह भाजपा में 'बड़ा चेहरा' होंगे। पार्टी ने सभी होर्डिंग व पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अध्यक्ष अमित शाह, प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर और प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के साथ राजनाथ सिंह का चेहरा शामिल करने का फरमान जारी किया है। जानकार इस फरमान को मुख्यमंत्री के चेहरे की खोज राजनाथ के इर्द गिर्द सिमटता मान रहे हैं।

वैसे तो प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा में केंद्रीय मंत्री डॉ.महेश शर्मा, स्मृति ईरानी, लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा, योगी आदित्यनाथ और सांसद वरुण फिरोज गांधी के नाम चर्चा में हैं, मगर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व पूर्व मुख्यमंत्री तथा बसपा सुप्रीमो मायावती और मुलायम सिंह यादव के चेहरों से वह मुकाबिल हो सकेंगे, इसमें संशय है। पार्टी अभी तक कोई ऐसा कद्दावर चेहरा नहीं तलाश पाई है, जिसकी पूरे प्रदेश में पहचान हो और उसका अपना वोट बैंक भी। राजनाथ सिंह इस पैमाने पर खरा उतरते हैं। क्षत्रिय वोट उनके साथ आ सकता है। राजनाथ की पहचान बेहतर प्रशासक के रूप में है। वह संघ की भी पसंद माने जाते हैं। राजनाथ चेहरा बनते हैं तो पूर्वी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मतदाता किस तरफ जाएंगे, कह पाना मुश्किल भरा है। वैसे पार्टी ने गोरखपुर से शिवप्रताप शुक्ला को राज्यसभा भेजने की तैयारी की है, लेकिन संशय तो है ही। शिवप्रताप भी राजनाथ के करीबी हैं। यह भी कहा जा रहा है कि राजनाथ केंद्र की राजनीति छोड़कर प्रदेश में आने के लिए बहुत इच्छुक नहीं हैं, पर जिस तरह उनका चेहरा आगे किया जा रहा है, उसके संदेश साफ हैं।

दावेदारों पर रहेगा दबदबा

राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके राजनाथ सिंह का कद उप्र के नेताओं में इतना ऊंचा है कि बाकी दावेदार भी उनका विरोध नहीं कर पाएंगे। अन्य किसी को चेहरा बनाया जाता है तो भितरघात की आशंका रहेगी।

संगम में पानी और सफाई की भी चिंता

संगम नगरी में चंद दिनों बाद प्रस्तावित भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान गंगा यमुना की मिलन स्थली में पानी और घाट की स्वच्छता भी जिम्मेदार विभागों के लिए चिंता का सबब बन गई है। ऐसा अनुमान है कि इस अहम राजनीतिक आयोजन में आने वाले कई नेता संगम स्नान के लिए भी जा सकते हैं, पर यहां नहाने लायक पानी होगा अथवा नहीं, यह इंद्रदेव की कृपा पर निर्भर होगा। सिंचाई विभाग का बाढ़ खंड बारिश की आस लगाए है। दरअसल गंगा पर बने बांधों में इतना पानी नहीं है कि उसे छोड़कर संगम को लबालब किया जाए, माघ मेले जैसा।

12 और 13 जून को शहर में होने वाली भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कई केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों के अलावा देशभर के वरिष्ठ भाजपा नेता आएंगे। वह संगम और गंगा स्नान का भी अपने प्रवास में शामिल कर सकते हैं। कार्यकारिणी की बैठक खत्म होने के बाद कुछ ने काशी और अयोध्या जाने की तैयारी भी की हुई है। इलाहाबाद में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थली की स्थिति फिलहाल दयनीय है। वहां स्नान कैसे होगा? यह सवाल लाख टके का है। बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार कहते हैं कि गंगा पर बने बांधों में भी पानी नहीं है। यदि बैठक से पहले उत्तराखंड के साथ-साथ प्रदेश में जमकर बारिश हुई तभी संगम लबालब हो सकता है, अन्यथा यही स्थिति रहेगी।

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