Move to Jagran APP

यूपी के माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव बर्खास्त

बलराम यादव अखिलेश सरकार के 12वें ऐसे मंत्री हैं जिन्हें बर्खास्त किया गया है।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2016 11:23 AM (IST)
Hero Image
लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सिफारिश पर राज्यपाल राम नाईक ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को कल पद से बर्खास्त कर दिया। वह अखिलेश सरकार के 12वें ऐसे मंत्री हैं जिन्हें बर्खास्त किया गया है। बलराम पर कार्रवाई की कई वजह हैं, मगर तात्कालिक कारण कौमी एकता दल (कौएद) का समाजवादी पार्टी में विलय से जुड़ा माना जा रहा है।

स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की एमएलसी सीटों पर चुनाव के बाद अखिलेश यादव मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना के साथ ही बलराम को मंत्री पद से मुक्त कर उनके बेटे संग्राम यादव को मंत्रिपरिषद में शामिल करने पर सपा में सैद्धांतिक सहमति बन गई थी।

गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में विलय

कल जिस अंदाज में बलराम यादव को मंत्री पद से बर्खास्त किया गया है, उसके पीछे माध्यमिक शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर तबादलों में शिकायतें, स्कूलों की मान्यता को लेकर भेदभाव के इल्जाम की बात भी मुखर होकर सामने आयी।

इस बात की चर्चा ने भी जोर पकड़ा कि बलराम यादव व पूर्वांचल के दो पूर्व मंत्रियों ने जिस अंदाज में कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय कराने का प्रयास शुरू किया था, उसके लिए समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राजी नहीं थे।

लखनऊ में कल जिस समय कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की घोषणा हो रही थी, तकरीबन उसी समय अखिलेश यादव ने जौनपुर में कहा था कि समाजवादी पार्टी को किसी दल की जरूरत नहीं, वह अपने बूते जीतकर सत्ता में लौटेगी। जौनपुर से वापस लौटते ही उन्होंने बलराम यादव को जिस तरह से मंत्री पद से मुक्त किया, उससे नाराजगी की चर्चा को बल मिला।

कहा जा रहा है कि अखिलेश ने इस कार्रवाई के माध्यम से दोहरा संदेश दिया है। एक, वह संगठन और पार्टी के फैसलों को लेकर दबाव में आने वाले नहीं हैं। दो, अपराध की दुनिया के लोगों के साथ दूरी बनाये रखने की अपनी छवि को किसी भी कीमत पर टूटने नहीं देंगे।

हालांकि पार्टी के भीतर एक तबका यह भी कह रहा है कि बिना राष्ट्रीय अध्यक्ष की मर्जी के किसी को सपा में शामिल नहीं किया जा सकता है, तब बलराम पर कार्रवाई क्यों। इसके उत्तर में पार्टी के दूसरे धड़े का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष के इन्कार की जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिये बगैर यह फैसला कराया गया और इसमें जिनकी भूमिका थी, उन पर कार्रवाई हुई।

पहले भी बर्खास्त हुए मंत्री

अखिलेश यादव ने सबसे पहले अप्रैल 2013 में तत्कालीन खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री (स्वर्गीय) राजाराम पांडेय को बर्खास्त किया था। उन पर महिला आइएएस अधिकारी पर अभद्र टिप्पणी का आरोप था। मार्च 2014 में मनोज पारस और आनंद सिंह को मंत्रिपरिषद से हटाया गया। राज्यमंत्री पवन पाण्डेय का इस्तीफा हुआ, हालांकि जल्द ही मंत्रिमंडल में उनकी वापसी हो गई। अक्टूबर 2015 में मुख्यमंत्री ने एक साथ आठ मंत्री बर्खास्त किये। इनमें राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह, अंबिका चौधरी, शिव कुमार बेरिया, नारद राय, शिवाकान्त ओझा, आलोक कुमार शाक्य, योगेश प्रताप और भगवत शरण गंगवार शामिल थे।

मंत्रिमंडल का विस्तार 27 को संभव

एमएलसी चुनावों के बाद से चल रही अखिलेश मंत्रिमंडल में फेरबदल के कयास 27 जून तक सच हो सकते हैं। सरकार ने मंत्रिमंडल में रिक्त चल रहे चार स्थानों में एक ब्राह्मïण, एक मुस्लिम, एक यादव और एक अन्य पिछड़ा जाति के विधायक को स्थान मिल सकता है। विधायक शारदा प्रताप शुक्ल, रविदास मेहरोत्रा, संग्राम सिंह यादव, शाकिर अली या आशु मलिक मंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल हो सकता है। फेरबदल में जातीय समीकरण, वफादारी और इमेज बिल्डिंग का ध्यान रखा जाएगा।

अखिलेश मंत्रिमंडल की स्थिति

मंत्रिमंडल में स्थान- 60

मंत्रियों की संख्या- 24

राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)-10

राज्यमंत्री- 22

कुल मंत्रियों की संख्या- 56

रिक्त स्थान- 04

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।