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नेशनल हेराल्ड की मालिक कंपनी का नाम बदलेगा

नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के स्वामित्व वाली कंपनी द एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के नाम के साथ उसका चोला बदलने के प्रस्तावों पर गुरुवार को कंपनी की विशेष आमसभा में मुहर लग गई। इस तरह कंपनी ने अपना व्यावसायिक चोला उतारकर गैर लाभकारी कंपनी का लबादा ओढऩे की पांच साल

By Ashish MishraEdited By: Updated: Thu, 21 Jan 2016 08:42 PM (IST)
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लखनऊ। नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के स्वामित्व वाली कंपनी द एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के नाम के साथ उसका चोला बदलने के प्रस्तावों पर गुरुवार को कंपनी की विशेष आमसभा में मुहर लग गई। इस तरह कंपनी ने अपना व्यावसायिक चोला उतारकर गैर लाभकारी कंपनी का लबादा ओढऩे की पांच साल पुरानी योजना को पूरा करने की तरफ कदम बढ़ा दिया है। एजेएल और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी की हिस्सेदारी वाली यंग इंडिया लिमिटेड में हुए करार इस वक्त राजनीतिक वितंडा और कानूनी विवाद का सबब बने हैं।

एक, बिशेश्वर नाथ रोड, कैसरबाग में राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से संचालित इंदिरा गांधी आइ हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर गुरुवार को जैसे कांग्रेस मुख्यालय में तब्दील हो गया था। कंपनी के प्रबंध निदेशक की हैसियत से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा की ओर से यहां दोपहर तीन बजे बुलायी गई आमसभा को लेकर अस्पताल परिसर के आसपास खासी सरगर्मी रही। सभा की अध्यक्षता भी वोरा ने की। कांग्रेस दिग्गजों की आमद और अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे एसोसिएटेड जर्नल्स इम्प्लाईज यूनियन के विरोध को देखते हुए अस्पताल परिसर के सभी गेट बंद कर दिये गए थे। अस्पताल में सामान्य तौर पर शाम चार बजे तक होने वाला मरीजों का रजिस्ट्रेशन दोपहर 12 बजे ही बंद कर दिया गया। दोपहर तीन बजे मोतीलाल वोरा और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सफेद रंग की बीएमडब्लू कार से पहुंचे। फिर लालबत्ती लगी गाड़ी से झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी पहुंचे। इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री ऑस्कर फर्नांडीस व जितिन प्रसाद, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, रत्ना सिंह व सलीम शेरवानी, सैम पित्रोदा आ चुके थे। शाम पौने पांच बजे पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और विशेष आमसभा में आब्जर्वर की हैसियत से इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस भंवर सिंह पहुंचे।

शाम छह बजे बाहर निकलकर मोतीलाल वोरा ने बताया कि विशेष आमसभा में एजेएल को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा-8 के तहत गैर लाभकारी कंपनी में तब्दील करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। एजेएल का नाम बदलने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। कंपनी के मैमोरैंडम ऑफ एसोसिएशन तथा आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में भी बदलाव के प्रस्ताव पर मुहर लगी है। कंपनी के स्वामित्व वाले बंद पड़े समाचार पत्रों-नेशनल हेरल्ड, कौमी आवाज और नवजीवन को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव भी पास हुआ। वोरा ने कहा कि विशेष आमसभा इसीलिए बुलायी गई ताकि कंपनी के स्वरूप को बदलने के बारे में शेयरधारकों की मंजूरी ली जा सके।

आप सब जानते हैं

कंपनी का स्वरूप बदलकर उसे पुनर्जीवित करने के लिए वर्ष 2010 में बनायी गई योजना को आगे बढ़ाया गया है। हालांकि इसका मकसद पूछने के सवाल को वोरा यह कहकर टाल गए कि 'आप सब जानते हैं।Ó अलबत्ता उन्होंने सफाई भी दी कि इस फैसले का कानूनी विवाद से कोई लेना देना नहीं। कंपनी का नया नाम क्या होगा? इस सवाल का सीधा जवाब न देते हुए वोरा ने कहा कि गुरुवार को पारित प्रस्ताव कई एजेंसियों को भेजा जाएगा, उसके बाद ही नाम तय होगा। बंद अखबार कब तक शुरू होंगे? वोरा का जवाब था कि इस पर विचार कर निर्णय लिया जाएगा। बैठक में एजेएल के 28 इक्विटी शेयरधारक और चार प्रिफरेंशियल शेयरधारकों ने हिस्सा लिया।

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