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विजय माल्या लखनऊ में भी बड़ा बकायेदार

बैंक का लोन न चुका पाने के कारण देश से फरार विजय माल्या लखनऊ में भी बड़े कर्जदार हैं। लखनऊ में चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट, अमौसी की जमीन और संसाधनों का जमकर इस्तेमाल करने वाली किंगफिशर एयरलाइन ने सर्विस से जुड़े शुल्क का कई महीने तक भुगतान ही नहीं किया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Tue, 10 May 2016 05:35 PM (IST)
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लखनऊ। बैंक का लोन न चुका पाने के कारण देश से फरार विजय माल्या लखनऊ में भी बड़े कर्जदार हैं। लखनऊ में चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट, अमौसी की जमीन और संसाधनों का जमकर इस्तेमाल करने वाली किंगफिशर एयरलाइन ने सर्विस से जुड़े शुल्क का कई महीने तक भुगतान ही नहीं किया।

देश के किसी भी एयरपोर्ट पर विमान को 15 दिन के भीतर शुल्क जमा न करने पर उडऩे की अनुमति नहीं दी जाती है, पर किंगफिशर के विमान को कई महीनों तक राजनीतिक दबाव के चलते अनुमति मिलती रही। अब भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण जागा है और देय के भुगतान के लिए पैरवी कर रहा है। किंगफिशर ने तीन दिसंबर 2007 को लखनऊ-नई दिल्ली व कुछ दिन बाद लखनऊ-मुंबई के लिए उड़ान शुरू की थी। विमान कंपनी को सेवाएं देने के लिए एयरपोर्ट पर स्थान और संसाधन के इस्तेमाल करने पर दो तरह का शुल्क अदा करना होता है।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को यह शुल्क एयरोनॉटिकल चार्ज और नॉन एयरोनॉटिकल चार्ज के रूप में दिया जाता है। एयरोनॉटिकल चार्ज लैंडिंग, रूट नेविगेशन सुविधा और पैसेंजर सर्विस फीस के रूप में विमान कंपनियों को देना होता है जबकि नॉन एयरोनॉटिकल चार्ज एयरपोर्ट पर बुकिंग काउंटर, एप्रेन के इस्तेमाल और अन्य स्थान के इस्तेमाल के लिए दिया जाता है। मौजूदा समय में हर एक विमान के प्रत्येक फेरे में एयरोनॉटिकल चार्ज ही 55 से 60 हजार रुपये होता है। इन दोनों ही तरह के चार्ज का बिल एयरपोर्ट अथॉरिटी हर 15 दिन में बनाती है। एयरोनॉटिकल चार्ज का बिल एयर ट्रैफिक कंट्रोल जबकि नॉन एयरोनॉटिकल चार्ज का बिल एयरपोर्ट का प्रशासनिक भवन तैयार करता है। दोनों ही योग के भुगतान के लिए किंगफिशर के मौजूदा टर्मिनल मैनेजर को हर 15 दिन में बिल दिए गए। किंगफिशर के बिल का भुगतान न देने के बावजूद विमान का संचालन न रोकने के आदेश मिलते रहे। यूपीए सरकार के एक बड़े मंत्री के दबाव के चलते विजय माल्या का विमान एक बार भी नहीं रोका गया। किंगफिशर एयरलाइन पर लखनऊ के साथ देशभर के एयरपोर्ट का 295 करोड़ रुपये एयरोनॉटिकल व नॉन एयरोनॉटिकल चार्ज का बकाया है।

मिला मनचाहा रूट

किंगफिशर एयरलाइन को मनचाहा रूट भी दिया गया। इसके लिए सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया को भी दांव पर लगाया गया। जिस एयर इंडिया की लखनऊ-शारजाह विमान की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। उसकी मार्केट पर भी किंगफिशर ने असर डाला था।

हो रहा है आकलन

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के महाप्रबंधक जनसंपर्क, जेबी सिंह ने बताया कि लखनऊ सहित देश के सभी एयरपोर्ट जहां किंगफिशर एयरलाइन सेवाएं देती थी, वहां का कई माह का एयरोनॉटिकल और नॉन एयरोनॉटिकल चार्ज का बकाया है। कितने महीने का यह बकाया, किस जगह का है, इसका आकलन किया जा रहा है।

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