सांप्रदायिकता की आग में नौचंदी मेला भी झुलसा
By Edited By: Updated: Mon, 12 May 2014 01:56 AM (IST)
मेरठ : सांप्रदायिकता की आग से ऐतिहासिक नौचंदी मेला भी झुलस गया। रविवार को दुकानदारों ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया।
पहले लोकसभा चुनाव और फिर नगर निगम के ढुलमुल रवैए के चलते 12 अप्रैल से आरंभ होने वाला मेला लगभग दस दिन पूर्व से ही गुलजार हुआ था। बीच में तीन चार दिन बारिश और आंधी ने सबकुछ चौपट कर दिया। फोर्स की कमी से कई कार्यक्रम पहले ही निरस्त किए जा चुके थे। रही सही कसर शनिवार को हुए बवाल ने पूरी कर दी। बवाल के दौरान ही प्रशासन ने शाम को मेला बंद करने के आदेश दे दिए थे। रविवार को कई दुकानदारों ने अपना बोरिया बिस्तर बांधना शुरू कर दिया। लखनऊ से आए छह चिकन वस्त्रों के विक्रेता अपना सामान लेकर चले गए। इसी तरह भारती भोजनालय ने भी अपना तंबू उखाड़ना शुरू कर दिया। प्रशासन करे नुकसान की भरपाई दस दिन पूर्व मेला समाप्ति की घोषणा किए जाने से मेला दुकानदार अपने को लुटा हुआ महसूस कर रहे हैं। यादव भोजनालय के जानकी प्रसाद तिवारी ने बताया कि अभी दुकानों के किराए की भरपाई नहीं हुई है, लेबर का खर्च अभी बकाया है। उन्होंने कहा कि मुश्किल से एक सप्ताह से मेले में रौनक आई थी कि बवाल के चलते मेला बंद किए जाने के आदेश से दुकानदार बर्बादी की कगार पर आ गए हैं। कई दशकों से सुरमा की दुकान लगा रहे रहीस ने बताया कि मेले में दुकानदार दूर-दूर से आते हैं। नगर निगम ने इस बार किराया बीस प्रतिशत बढ़ा कर पहले ही मोटी रकम दुकानदारों से वसूल ली है। जबकि मेला दस दिन भी ठीक से नहीं चला है। बुलंदशहर के मेले से नौचंदी में खिलौने की दुकान लगाने वाले अशोक कुमार ने बताया कि इस बार मेले में साफ सफाई और अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर नगर निगम ने शून्य सुविधाएं दी हैं। एक सप्ताह भी मेले में बिक्री नहीं हुई है। बुलंदशहर से मेला नौचंदी में दुकान लगाने का खर्च अभी नहीं निकला है। बिजली का बिल और अन्य खर्चे अभी देने हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह दुकानदार मेले में आना ही बंद कर देंगे। दुकानदारों का कहना था कि उन्होंने एक माह का किराया दिया है या तो पूरी सुरक्षा देते हुए दुकानें लगाने की अनुमति दी जाए या नुकसान की भरपाई की जाए।
------------ गुलजार होते-होते वीरान हुआ मेला
- शाम को मेला घूमने आए लोगों को पुलिस ने बाहर निकाला मेरठ : सैकड़ों साल की सांस्कृतिक विरासत संजोए मेला नौचंदी अपने बुरे दौर से गुजर रहा है। शनिवार को हुए बवाल के बाद रविवार को मेले में शाम को भीड़ जुटनी शुरू हुई थी लेकिन प्रशासन ने लोगों को हटाते हुए एक बार फिर मेला बंद करने की घोषणा कर दुकानदारों के अरमानों पर पानी फेर दिया। रविवार शाम चार बजे तक दुकानदारों को यही सूचना दी गई थी कि मेला लगेगा। आशंकित दुकानदार भी खुशी से माल सजाने में लगे थे। शाम साढ़े पांच बजे तक मेले में काफी लोग आ चुके थे। मेले में लाइटें भी जल चुकी थी। लेकिन तभी मेला मजिस्ट्रेट की ओर से घोषणा की गई कि तीरगरान में हुए बवाल के चलते एहतियात के तौर पर मेला बंद रहेगा। पुलिस ने मेले में आए लोगों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। मेला परिसर में पुलिस अधिकारियों ने दौरा करते हुए दुकानदारों को दुकानें बंद करने की हिदायत दी। दुकानदारों ने भी वापस दुकानों को तिरपाल और पॉलीथिन से ढक दिया। थोड़ी देर में मेला क्षेत्र में सन्नाटा छा गया। दुकानों की बिजली काट दी गई। पूरे क्षेत्र में अंधेरा छा गया केवल स्ट्रीट लाइट ही जलती नजर आ रही थी।
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