सौ अरब की 'मूंछ'
By Edited By: Updated: Sun, 25 Nov 2012 08:39 AM (IST)
दिनेश दिनकर, मेरठ। कुछ दुनिया ने इन्हें बदला और कुछ अपराध की दुनिया को इन्होंने बदल डाला। मौत और जिंदगी के इन सौदागरों का वास्ता अब सिर्फ गोला-बारूद और जेल से ही नहीं, बल्कि उस मायावी चकाचौंध से भी है, जिसकी चमक-दमक में इन शातिरों की हैसियत अरबों-खरबों की है। एसटीएफ की जांच पड़ताल में चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि मूंछ समेत वेस्ट के दो दर्जन से ज्यादा शातिर अपराधियों ने सौ अरब से ज्यादा की संपत्तिजमा कर ली है। ये संपत्तिउनके गैंग के विश्वासपात्र सदस्यों और रिश्तेदारों के नाम है। मूंछ से जुड़े चेलों ने भी जमीन और दीगर धंधों में करोड़ों के वारे-न्यारे कर लिए हैं। विदेश तक में इन अपराधियों ने पैर पसार रखे हैं।
वेस्ट यूपी के तमाम भारी भरकम अपराधियों की घेराबंदी की कोशिशें हो रही हैं। एक लाख के इनामी भूपेंद्र बाफर, बदन सिंह बद्दो और अब सुशील मूंछ गिरफ्तार होकर जेल जा चुके हैं। एसटीएफ और पुलिस मूंछ, बद्दो और बाफर की संपत्तिका ब्योरा जुटाने में लग गई है। इनके करीबी दूसरे अपराधियों की संपत्तिका भी पता लगाया जा रहा है। एसटीएफ के सूत्रों की मानें तो अवैध तरीकों से अर्जित की गई इन अपराधियों की संपत्तिसौ अरब से ज्यादा की हो सकती है। संपत्तिअधिकांशत: प्रॉपर्टी, केबिल नेटवर्क और ठेकेदारी के रूप में है। इसके अलावा कई उद्योगों में भी इनकी बेनामी साझेदारी है। खुद कंगाल, करीबी मालामाल एसटीएफ के अफसरों का कहना है कि सुशील मूंछ समेत सभी बड़े अपराधियों की संपत्तिरिश्तेदारों, परिजनों और गैंग के सदस्यों के नाम हैं। खुद वह कंगाल है। मूंछ के गिरोह में 50 से ज्यादा सदस्य हैं और इनमें 15 बेहद करीबी हैं। यही उसकी अरबों की संपत्तिके राजदार और मालिक हैं।
चचा केपी की तलाश मूंछ का काम देखने वाले मुजफ्फरनगर निवासी कुंवरपाल उर्फ चचा केपी की एसटीएफ को तलाश है। हालांकि वो वांटेड नहीं हैं, लेकिन माना जा रहा है कि संपति का असली हिसाब-किताब उसे ही पता है। कुंवरपाल का एक पुत्र मेलबोर्न में रहता है, एसटीएफ मान रही है कि उसकी मार्फत भी संपत्तिआस्ट्रेलिया में हो सकती है। इसके अलावा एसटीएफ ने कई व्यापारी और सफेदपोशों को भी रडार पर लिया है।
मूंछ व बद्दो की मायावी दुनिया एसटीएफ की जांच पड़ताल में यह भी सामने आया है कि बदन सिंह बद्दो के पास भी अपार संपत्तिहै और पंजाब समेत दूसरी कई जगहों पर सुशील मूंछ के साथ मिलकर जमीन और प्रॉपर्टी तैयार की गई है। बद्दो की इथोपिया में 10 हजार एकड़ जमीन है, इसकी भी पड़ताल हो रही है। भूपेंद्र बाफर की संपत्तिका भी पता लगाया जा रहा है।
सुक्रमपाल की गिरफ्तारी की फिल्डिंग सजी अब एसटीएफ का टास्क बाकी बचे आठ वो अपराधी हैं, जिन पर पचास हजार से लेकर एक लाख तक का इनाम है। माना तो यहां तक जा रहा है कि सुशील मूंछ का सबसे करीबी एक लाख का इनामी सुक्रम पाल उर्फ भगत जी, पचास हजारी कपिल कटारिया और धर्मेन्द्र किरठल एसटीएफ के घेरे में हैं और किसी भी वक्त इनकी गिरफ्तारी हो सकती है।
खतरनाक बेनाम शूटर्स सुशील मूंछ की गिरफ्तारी के बाद 50 से ज्यादा ऐसे शार्प शूटर्स पुलिस की निगाहों में कैद हुए है जो कई गिरोहों से जुड़कर लगातार बड़ी घटनाएं करते रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि ये शूटर पुलिस रिकार्ड में नहीं हैं। अब इन सभी को रडार पर लिया गया है।
कहां हैं बाकी मोस्ट वांटेड? राज्य की पुलिस की तरफ से जिन पंद्रह मोस्ट वांटेड की सूची दी गई है, उनमें नौ वेस्ट यूपी के हैं। सुशील मूंछ की गिरफ्तारी के बाद इनकी संख्या आठ रह गई है। इनमें दो एक लाख और बाकी पचास हजार के इनामी हैं। हालांकि इनमें से दो के गैंगवार में मारे जाने की बात पुलिस कर रही है, पर शव बरामद न होने के चलते इन्हें इनामी सूची में रखा गया है।
ये शूटर पुलिस का सिरदर्द? वेस्ट के बाकी बचे मोस्ट वांटेड में एक लाख का इनामी सुक्रम पाल उर्फ भगत जी, एक लाख का ही विनोद बावला, पचास हजार के इनामी सुधीर, देवेंद्र उर्फ देबू, कपिल कटारिया, संजीव नाला, विनोद कुमार और नीटू हैं। बागपत का चांदनहेड़ी निवासी सुक्रम पाल सुशील मूंछ का राइट हैंड है। कपिल कटारिया बिजनौर के मंडावर का है और पवित्र मैत्रेय हत्याकांड में वांटेड है। सुधीर सहारनपुर जिले के देवबंद थानान्तर्गत मीरापुर गांव का है। पुलिस का मानना है कि उसे गैंगवार में अनिल सिसौली ने मार दिया है। बाद में अनिल और दो अन्य का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था। पर लाश नहीं मिलने के चलते उसे मृत नहीं माना गया है। मुजफ्फरनगर के कांधला के संजीव नाला के बारे में भी कहा जाता है कि वह हरियाणा में गैंगवार में मारा जा चुका है, लेकिन पुलिस का कहना है कि जब तक लाश नहीं मिलती, मृत नहीं मान सकते। मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।