रेलवे मंडी का सपना नहीं हो सका पूरा
मीरजापुर : जनप्रतिनिधि यदि चाहते तो विंध्याचल में पूर्वाचल की सबसे बड़ी रेलवे मंडी का सपना पूर हो जाता है। तीन साल पहले सर्वे भी हुआ था लेकिन नई दिल्ली में सक्रिय पहल न होने से मामला खटाई में पड़ गया है। एक अरब के करीब की परियोजना थी। दो किलोमीटर लंबे प्लेटफार्म व यार्ड का निर्माण होना था।
योजना थी कि नई दिल्ली मुगलसराय रेल प्रखंड पर स्थित विंध्याचल स्टेशन पर ही माल लाकर यहां से पूर्वी बिहार से लगायत झारखंड, सोनभद्र, गोरखपुर, देवरिया, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, संत रविदास नगर भदोही, गाजीपुर, बलिया, चंदौली, बस्ती आदि जनपदों को इस मंडी से जोड़ने की योजना थी। मालगाड़ियों से माल यहां लाया जाना था और यहीं से मालवाहकों से हर जगह आपूर्ति की जानी थी। विंध्याचल स्टेशन एक तो मेन रूट पर स्थित है दूसरे यहां पर पर्याप्त जगह भी है।
एक किमी से ज्यादा लंबी पुरानी टै्रक बेकार पड़ी है। उसका अपग्रेड भर होना था। तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक सुखबीर सिंह के समय में योजना बनाई गई थी और नई दिल्ली, इलाहाबाद से आए रेलवे के कई खंडों के अभियंताओं, अधिकारियों ने बाकायदा सर्वे भी किया था लेकिन लगता है कि रेलवे की महत्वाकांक्षी परियोजना पर किसी की नजर लग गई। योजना धरातल पर आई ही नहीं है।
उद्योग के क्षेत्र में अति पिछड़े इस जनपद में यदि परियोजना लग जाती तो सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता और जिले का विकास होता। अब जबकि लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। यहां की जनता एक स्वर से प्रत्याशियों से एक ही सवाल कर रही है कि साहब आखिर इस योजना की फाइल बंद क्यों हो गई। आपकी सरकार यहां के लोगों के लिए क्या किया। क्यों वोट दिया जाय आपको। पार्टी प्रत्याशियों के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है।