सांसद कहेंगे तभी खत्म होगा स्टापेज
प्रदीप चौरसिया, मुरादाबाद।
रेलमंत्री ने रेल बजट में घाटे को कम करने के लिए ट्रेनों का अस्थायी स्टापेज समाप्त करने की घोषणा तो कर दी, मगर वोट बैंक खिसकने के डर से उस पर अमल नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि अब सांसद के लिखित अनुरोध पर ही ट्रेनों का स्टापेज समाप्त करने का फैसला किया गया है।
केंद्र की नयी सरकार ने आठ जुलाई को रेल बजट पेश करते समय कहा था कि रेलवे का घाटा कम करने के लिए पहली सितंबर से ट्रेनों का अस्थायी स्टापेज समाप्त कर दिया जाएगा। बजट सत्र खत्म होने के बाद ट्रेनों का नया टाइम टेबिल बनाने को रेलवे अधिकारियों की टीम अगस्त में दिल्ली पहुंच गयी। 18 अगस्त को रेलवे बोर्ड से मौखिक आदेश जारी किया गया कि नये टाइम टेबिल में अस्थायी स्टापेज वाले स्टेशनों पर ट्रेनों का स्टापेज समाप्त कर दिया जाए। 19 अगस्त को फिर मौखिक सूचना दी गयी कि कोई स्टापेज खत्म नहीं होगा, जब तक रेलवे बोर्ड से इस संबंध में कोई पत्र नहीं मिल जाता है। सूत्रों का कहना है कि स्टापेज समाप्त होने का आदेश तो फाइल में हो चुका है, लेकिन सरकार ने पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है। सरकार को वोट बैंक खिसकने का डर सताने लगा है। अस्थायी स्टापेज खत्म होते ही देश भर में विरोध शुरू हो जाएगा। सरकार ने लाज बचाने के लिए कहा कि लोकल सांसद के लिखित अनुरोध के बाद ही ट्रेनों का अस्थायी स्टापेज खत्म किया जाएगा। इससे सरकार की इज्जत भी बच जाएगी और अस्थायी स्टापेज भी समाप्त नहीं होगा।
रेल मंडल से दर्जन भर ट्रेनों का स्टापेज होना था खत्म
मुरादाबाद। रेल बजट की घोषणा के अनुसार अगर फैसले को लागू किया जाता तो मंडल भर दर्जनों स्टेशनों से ट्रेनों का अस्थाई स्टापेज खत्म हो जाता। इसके तहत काठगोदाम-दिल्ली सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस का अमरोहा से, श्रमजीवी एक्सप्रेस का गाजियाबाद से, काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस का पिलखुआ व पीताम्बरपुर से, दिल्ली बरेली इंटरसिटी का मिलक से स्टापेज समाप्त हो जाता। इसी तरह किसान एक्सप्रेस, जनता एक्सप्रेस, सियालदह एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों का मंडल के छोटे-छोटे स्टेशनों पर अस्थायी स्टापेज समाप्त हो जाता।
ट्रेनों का स्टापेज करने या समाप्त करने का अधिकार रेलवे बोर्ड के पास है। मंडल रेल प्रशासन के पास किसी भी स्टापेज को समाप्त करने का आदेश अभी तक नहीं आया है।
-हितेंद्र मल्होत्रा, एडीआरएम