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किसी ने बजट को सराहा तो किसी ने नकारा

मुजफ्फरनगर : आम बजट को हर वर्ग ने अपने-अपने नजरिये से देखा है। आम बजट को किसी ने सराहा तो कुछ ने नका

By Edited By: Updated: Sun, 01 Mar 2015 12:32 AM (IST)
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मुजफ्फरनगर : आम बजट को हर वर्ग ने अपने-अपने नजरिये से देखा है। आम बजट को किसी ने सराहा तो कुछ ने नकारा। आम बजट पेश होने के बाद दोनों तरह के पहलू सामने आए। हालांकि ज्यादातर जनता ने आम बजट को कारपोरेट व उच्च श्रेणी के लोगों का बजट करार दिया है। वित्तमंत्री ने आम बजट में जिन चीजों का समावेश किया है, उससे आम जनता को राहत कम अमीर घरानों को ज्यादा मिलेगी। एक करोड़ की आय दर्शाने वालों को 2 प्रतिशत सरचार्ज देना होगा। लेकिन एक करोड़ की आय सिर्फ नौकरी पेशा लोगों की आसानी से पकड़ी जा सकती है, बाकी इसके दायरे से बाहर रहते हैं। महंगाई की मार झेल रही आम जनता को आम बजट में राहत देने के किसी बिंदु पर सुनवाई नहीं हुई है।

आम जनता के लिए बजट नहीं हैं। इंडस्ट्री को भी इसमें कुछ नहीं मिला है। इनकम टैक्स स्लैब में परिवर्तन होता तो राहत जरूर मिलती। कुल मिलाकर आम बजट निराशाजनक व दिशाहीन है। -भीमसेन कंसल, सिद्धबली स्टील।

आम बजट कुल मिलाकर अच्छा है। बजट का तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। भविष्य के लिहाज से आम बजट बेहतर है। इस आम बजट से देश के विकास में आगे चल कर अहम भागीदारी हो सकती है। तत्काल कोई वस्तु सस्ती या महंगी नहीं होगी। -अनुराग संघल, अल्का आटो एसोसिएट।

आम बजट बेहतर रहा है। भविष्य में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए प्लान बनाया गया है। पिछली सरकार के मुकाबले बजट बेहतर है। आने वाले दिनों में सुधार देखने को मिलेगा। सोनिया लूथरा, आर्ट आफ लिविंग प्रशिक्षिका।

आम बजट देश की जनता के लिए नहीं है। बजट सिर्फ पूंजीपतियों के लिए पेश किया गया है। सर्विस टैक्स बढ़ने से रोजमर्रा की वस्तुएं महंगी होंगी। बजट में आम आदमी के बजाय सिर्फ कारपोरेट जगत को रियायत की गई है। अभिषेक चौधरी, वरिष्ठ बसपा नेता।

छोटे व्यापारियों का बजट में ध्यान नहीं रखा गया है। सर्विस टैक्स की दरें बढ़ने से महंगाई का बोझ बढ़ेगा। टैक्स स्लैब में बदलाव होता तो छोटे व्यापारी को लाभ मिलता। पंकज कुमार, व्यापारी।

आम बजट में रसोई को कहीं जगह नहीं मिली है। किसी प्रोडक्ट के सस्ता होने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। सर्विस टैक्स से जरूरी वस्तुएं जरूर महंगी हो जाएंगी। खाद्य पदार्थो व सब्जियों के भाव पर कोई नियंत्रण नहीं हैं। -कुमुद गोयल, गृहणी।

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