Move to Jagran APP

विश्व के समक्ष मधुमेह एक बड़ी चुनौती

By Edited By: Updated: Fri, 08 Nov 2013 07:32 PM (IST)

संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : मधुमेह को लेकर तमाम तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयोगों व शोध पर परिचर्चा के लिए ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में 41वां विश्व सम्मेलन आयोजित किया गया है। इसमें मधुमेह की स्थिति, उत्पन्न होने के कारण व रोकथाम पर विस्तृत चर्चा की गई। शुक्रवार को इस सम्मेलन की विधिवत रूप से दीप जलाकर शुरुआत की गई।

मधुमेह भारत ही नहीं विश्व में विकराल रूप ले रही है। इसकी रोकथाम के लिए तमाम तरह के रिसर्च किए जा रहे हैं। शोधकर्ता इसके नियंत्रण के उपायों को तलाशने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं। इस सम्मेलन का आयोजन रिसर्च सोसायटी फार द स्टडी आफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआइ) आयोजित कर रही है। इस सम्मेलन में विश्व के चार हजार प्रतिनिधि और विशेषज्ञों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से तीन हजार शोधकर्ता परिचर्चा में पहले दिन शामिल हुए हैं। आरएसएसडीआई के अध्यक्ष डा. वी मोहन ने अपने संबोधन में कहा कि बीटा सेल वह कोशिका है जो इंसुलिन को सुचारू रूप से काम करने के लिए प्रेरित करती है। इसके क्षतिग्रस्त होने पर मधुमेह का खतरा बढ जाता है। यूनाइटेड किंगडम प्रोस्पेक्टिव डायबिटीज स्टडी (यूकेपीडीएस) शोध बताते हैं कि डायबिटीज का निदान मिल गया है, मरीज में बीटा-सेल की क्रिया में 50 प्रतिशत तक कमी आ जाती है।

डॉक्टरों का कहना है कि दुनिया भर के शोधकर्ता अब डायबिटीज से बचाव के लिए बीटा सेल को क्षतिग्रस्त होने से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के अध्यक्ष सर माइकल हस्टज ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक डायबिटीज मरीज को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। इनकी बढ़ती संख्या चिकित्सा जगत के सामने एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस बीमारी से बचने के लिए शारीरिक व्यायाम अति महत्वपूर्ण माना जाता है। व्यायाम करने से दस प्रतिशत तक इस रोग को कम किया जा सकता है।

जीटीबी अस्पताल, दिल्ली में एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेडिसिन विभाग की प्रमुख डॉ. मधु ने कहा, कि भारत में डायबिटीज के 6.30 करोड़ से अधिक मरीजों की संख्या चिंता का विषय है। यहां 7.7 करोड़ लोगों में डायबिटीज से पूर्व के लक्षण पाए गए हैं जिनके बचाव के लिए समय पर कारगर रणनीति नहीं बनाई गई तो एक तिहाई मरीज डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं।

जीटीबी अस्पताल के मेडिसीन विभाग के प्रमुख डा. मधु का कहना है कि मधुमेह बीमारी विटामिन डी की कमी के कारण भी पनपती है। नौकरीपेशा लोग अपने दफ्तर, कार और घर को पूरी तरह से वातानुकुलित बना लिया है। वह चंद सेकेंड धूप में नहीं रह पाते। इसे कम करने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। जिसकी पूर्ति सूर्य की रोशनी से आसानी से की जा सकती है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।