जेवर एयरपोर्ट बनेगा यमुना प्राधिकरण के लिए संजीवनी
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : यमुना प्राधिकरण के गठन को पंद्रह वर्ष होने जा रहे हैं। फाइलों में प्
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : यमुना प्राधिकरण के गठन को पंद्रह वर्ष होने जा रहे हैं। फाइलों में प्राधिकरण कई सेक्टर बसा चुका है। कई नामी संस्थाओं को जमीन भी आवंटित की जा चुकी है, लेकिन धरातल पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। ग्रेटर नोएडा से आगरा तक बने 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेस वे और फार्मूला वन कार रेस ट्रैक को छोड़ दें तो यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में ऐसा कुछ नहीं है, जिसे शहर कहा जा सके। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार ने जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर अब सकारात्मक रुख अपनाया है। दोनों के बीच पत्र व्यवहार हुआ है। इसके बाद प्राधिकरण ने भी पांच हजार एकड़ जमीन एयरपोर्ट के लिए आरक्षित कर दी है। इससे यमुना प्राधिकरण के शहर को संजीवनी मिलने की उम्मीद है।
दरअसल, यमुना प्राधिकरण ने 2009 में सेक्टर अठारह और बीस में एक साथ 21 हजार आवासीय भूखंडों की योजना निकाली थी। अक्टूबर 2013 तक आवंटियों को भूखंडों पर कब्जा दिया जाना था। निर्धारित तिथि को गुजरे दो वर्ष से अधिक का समय हो गया है। प्राधिकरण भूखंडों पर कब्जा देना तो दूर, अभी तक आंतरिक विकास भी शुरू नहीं कर सका है। सड़कों का निर्माण जहां का तहां रुका पड़ा है। गलगोटिया और नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी को छोड़कर बाकी किसी भी शैक्षिक संस्थान को जमीन पर कब्जा नहीं मिला है। तीन दर्जन औद्योगिक इकाइयों को जमीन आवंटित की गई है, लेकिन एक भी उद्योग प्राधिकरण क्षेत्र में नहीं लगा है। प्राधिकरण की अधिगृहीत जमीन पर किसान खेती कर रहे हैं। जमीन अधिग्रहण का विवाद हाईकोर्ट में पहुंचने के कारण विकास कार्य ठप हो गया। सिर्फ फाइलों में ही प्राधिकरण चल रहा है। इसका असर संपत्ति के कारोबार पर भी पड़ा। पिछले लंबे समय से संपत्ति का कारोबार ठप है। खरीदारों ने इधर से मुंह मोड़ लिया था। विकास की यही गति रही तो आने वाले दस वर्ष में भी यह शहर बस नहीं पाएगा। इसको सिर्फ जेवर एयरपोर्ट से ही संजीवनी मिलने की उम्मीद है। एयरपोर्ट बना तो इससे शहर बसेगा और विकास के मामले में प्राधिकरण क्षेत्र की सूरत बदल जाएगी।