फोटो10 पीआरटी 27-सड़क हो या रेल, सफर कांटों भरा
गतिरोध---
यात्रियों की सुविधाओं से बेपरवाह प्रशासन व जनप्रतिनिधि
प्रतापगढ़ : परिवहन सुविधा के प्रति बेल्हा वर्षो से उपेक्षित है। सरकार चाहे जिसकी रही हो प्रशासन ने यात्री सुविधाओं के लिए कुछ खास नहीं किया। छोटा जिला मानकर यात्रियों की समस्याओं को न तो प्रशासन हल करना चाहता है और न जन प्रतिनिधि। लोगों बेहतर यात्रा सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं। उन्हें यात्रा पर जाने के लिए पहले गैरजनपद जाना पड़ता है। सुविधा देने के नाम पर यात्रियों को सिर्फ छला जाता है। मंगलमय यात्रा हो भी तो कैसे बेल्हा में निम्न असुविधाएं यात्रियों की यात्रा को दूभर बना देते हैं।
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- जंक्शन और डिपो पर असुविधाओं का अंबार
रेलवे जंक्शन की बात करें या फिर परिवहन के डिपो की। दोनों जगह यात्रियों को छांव देने वाले टीन शेड टूटे हुए हैं। अगर यात्रा के पहले प्यास भी लग जाए तो प्यास बुझाना भी दूभर हो जाता है। बैठने के लिए भी पर्याप्त सीटों का अभाव है। भीषण गर्मी में भी कई पंखे खराब पड़े हैं।
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- लंबी दूरी की ट्रेनों व बसों की कमी
बेल्हा में लंबी दूरी की ट्रेनों व परिवहन की बसों की कमी आज भी खटक रही है। मुंबई, जम्मू रूट पर भी कुछ ही ट्रेनें हैं। यही हाल बसों का भी है। ज्यादातर इलाहाबाद व सुलतानपुर की बस बेल्हा से मिल पाती है। ज्यादातर अच्छी ट्रेन व बसों के लिए यात्रियों को इलाहाबाद, सुलतानपुर व लखनऊ जाना पड़ता है।
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- रेलवे टिकट काउंटर कम
बेल्हा में महज दो साधारण टिकट काउंटर व दो आरक्षण टिकट काउंटर हर रोज हजारों यात्रियों को टिकट बांटने की जिम्मेदारी झेलते हैं। प्रतिदिन यहां टिकट की मारामारी रहती है। टिकट के चक्कर में ट्रेन भी छूट जाती है। काउंटर को बढ़वाने की गुजारिश कई बार यात्रियों ने की, लेकिन रेल उच्चाधिकारी कम यात्रियों के होने का बहाना बनाकर मामले तो टालते रहते हैं।
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- ट्रेनों व बसों की स्थिति दयनीय
बेल्हा में रेलवे की ट्रेनों व परिवहन की बसों का बुरा हाल है। मेंटीनेंस के अभाव में पद्मावत, काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, जनता एक्सप्रेस के साथ ही अन्य ट्रेनों की बुरा हाल है। परिवहन की ज्यादातर बसें बेल्हा के डिपो में खटारा हो चुकी है। यह बात विभाग भी जानता है। अनुबंधित बसों के सहारे जैसे-तैसे काम चल रहा है।
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- पटरियां व सड़क जर्जर
बेल्हा में जिन रेल पटरियों व सड़कों पर यात्री यात्रा करते हैं, वे जर्जर हो चुकी हैं। टूटी फूटी सड़कों पर बस तो हीलते कांपते चलती ही हैं यहां तो रेल की पटरियों पर भी ट्रेनें हिचकोले खाते चलती हैं। ऐसे में यात्रा के वक्त यात्रियों को हादसे का भय सताता रहता है।
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- यात्रियों की सुरक्षा राम भरोसे
बेल्हा के जंक्शन पर न तो सुरक्षा बल सतर्क रहते हैं और नहीं डिपो पर ही सिविल पुलिस की सतर्कता दिखाई पड़ती है। अक्सर ट्रेनों व बसों में यात्री जहरखुरानों लूट लिए जाते हैं। महिलाएं को भी जिल्लत झेलनी पड़ती है। शिकायत करने जाएं तो उल्टा सुरक्षाबल ही शिकायत कर्ता पर धौंस जमाते हैं।
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- शिकायत को किया जाता है नजरअंदाज
कुछ भी समस्या हो यात्री जब रेलवे व परिवहन विभाग के अधिकारियों से शिकायत करता है उसकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया जाता है। यात्रियों की समस्याओं के प्रति सबसे च्यादा रेलवे संवेदनहीन है। यहां पर अक्सर ही यात्रियों की समस्याओं को टाल दिया जाता है। यही कारण है आए दिन नाराज होकर यात्री हंगामा भी करते हैं। इन सबके बावजूद विभाग के अफसरों के कान में जूं तक नहीं रेंगती।
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- लेट लतीफी से टूट रहा विश्वास
ट्रेनों व बसों के इंतजार से ऊबे यात्रियों का अब रेलवे व परिवहन पर से विश्वास टूट रहा है। जब भी यात्रियों को समय से पहुंचना होता है न ट्रेन समय पर आती है और न ही बस साथ निभाती है। यही कारण है लोग इमरजेंसी में निजी साधनों का प्रयोग करना बेहतर समझते हैं।
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- यात्री वायु सेवा का अभाव
बेल्हा में यात्री वायु सेवा का अभाव है कई वर्षो से पूर्व पिरथीगंज स्थित हवाई पट्टी का निर्माण कराया गया था, आज वह पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है। हवाई पट्टी की पक्की सड़क टूट फूट गई है। उस पर उपले व किसानों के अनाज रखे जा रहे हैं।
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