बाढ़ से मिले जख्म भरे नहीं, फिर रोने की तैयारी!
श्रावस्ती/लक्ष्मननगर: 'पुराने घाव भरे नहीं, फिर रोने की तैयारी' का यह जुमला जिले के बाढ़ प्रभावित
श्रावस्ती/लक्ष्मननगर: 'पुराने घाव भरे नहीं, फिर रोने की तैयारी' का यह जुमला जिले के बाढ़ प्रभावित किसानों पर पूरी तरह फिट बैठ रहा है। प्रलयनकारी बाढ़ की विभीषिका से 190 गांव के किसानों की 42501 हेक्टेअर की लहलहाती फसल बर्बाद हो गई। बाढ़ की तबाही से मिले जख्म अभी भरे भी नहीं कि बाढ़ के साथ आए गाद और रेत से पटे खेत में बोआई को लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें झलकने लगी हैं। खेतों में पटे रेत को किसान कैसे हटाएं। इसे प्रशासन अवैध खनन मान रहा है। उसकी ओर से कोई गाइड लाइन भी नहीं तय की जा सकी है।
15 अगस्त को नेपाल में बादल फटने और अधिक वर्षा होने के कारण जिले के भिनगा, इकौना, जमुनहा तहसील के 190 गांव रातोरात जलमग्न हो गए थे। जनधन के साथ करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। कुल 42501 हेक्टेअर क्षेत्रफल में लगी फसल प्रभावित हुई। इसमें 8761.071 हेक्टेअर क्षेत्रफल में लगी फसल 50 फीसदी से अधिक बर्बाद हो गई। बाढ़ के साथ खेतों में जम चुके नदी के गाद व बालू किसानों के लिए अब संकट पैदा कर दिया है। रबी फसल की बोआई शुरू हो गई है। गेहूं की बोआई 15 नवंबर से शुरू हो जाएगा, लेकिन खेतों में गाद व बालू जमे होने के कारण किसान बोआई नहीं कर पा रहे हैं। कसियापुर गांव के किसान रणधीर सिंह का कहना है कि उनके खेतों में बालू जम जाने के कारण अभी तक कोई भी फसल की बोआई नहीं कर सके हैं। पूरा इलाका रेत हटाने के लिए प्रशासन की अनुमति का इंतजार कर रहा है। रमनगरा के ग्राम प्रधान विजय कुमारी त्रिपाठी कहती हैं कि उनके ग्राम पंचायत के अधिकांश खेतों में बाढ़ में बालू व गाद आ गया है। इससे अभी तक बोआई नहीं शुरू हो पाई है। नरायनपुर के रामनिवास मिश्र, कल्यानपुर के तेजबहादुर, मल्हीपुर की ग्राम प्रधान शशिबाला सिंह व विनीत त्रिपाठी का कहना है कि खेतों में जमे बालू फसल की बोआई में बाधा बने हुए है। बाढ़ में सब कुछ बह जाने के बाद अब यदि खेतों में कुछ तो घर की डेहरी छूंछी ही रह जाएगी। उधर एडीएम रजनीश चंद्र का कहना है कि खेतों में पटे रेत को हटाने के लिए शासन से दिशा-निर्देश मांगा गया है। निर्देश मिलते ही किसानों को रेत हटाने की अनुमति दे दी जाएगी।