देश का सबसे शक्तिशाली रेल इंजन तैयार
By Edited By: Updated: Thu, 03 Oct 2013 01:05 AM (IST)
जागरण संवाददाता, वाराणसी : अपने स्थापना की स्वर्ण जयंती मना रहे डीएलडब्ल्यू (डीजल लोकोमोटिव वर्क्स) ने एक और उपलब्धि हासिल की है। अपनी विकास यात्रा के 50 वसंत देख चुके डीरेका ने अब तक की सबसे अधिक क्षमता वाला और आकार के लिहाज से अब तक का सबसे बड़ा रेल इंजन, कारखाने की पटरी पर उतारा है।
खासियत यह भी है कि भीमकाय कद बुत को ध्यान में रखकर 'भीम' नाम से लांच किया गया इंजन पूरी तरह वातानुकूलित और काम तथा सुरक्षा की ढेर सी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इंजन में पहली बार पॉयलट के लिए प्रसाधन गृह, आटोमैटिक ब्रेक आदि की सुविधाएं दी गई हैं। चालक को अगर नींद आ गई तो इंजन खुद ठहर जाएगा। 5500 हार्सपावर का यह इंजन पटरियों पर दौड़ने के लिए तैयार है। बस, अंतिम परीक्षण और हरी झंडी का इंतजार है। डीरेका अब तक 4500, 4000 एचपी और अलको डिजाइन में 1350 से 3300 तक की क्षमता वाले एचपी का इंजन बना चुका है। विदेशों में भी सेवा
डीरेका में निर्मित इंजन बंाग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, तंजानिया, वियतनाम आदि देशों को निर्यात किये जाते हैं। डीरेका इंजन के कल पुर्जे भी निर्यात करता है। अब तो डीरेका एडवांस पेमेंट लेने के बाद ही विदेशों के लिए इंजन बनाता है। शास्त्री जी ने किया था पहले इंजन का उद्घाटन
डीरेका में निर्मित पहले इंजन का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने जनवरी 1964 में किया था। इंजन की खास बातें - पायलट का केबिन वातानुकूलित - पहली बार इंजन में प्रसाधन केंद्र - हाई ब्रेक का प्रयोग - कम से कम स्पीड 105 किमी - चालक नींद में तो गाड़ी खड़ी ---------------------- मालगाड़ी के लिए उपयोगी यह इंजन फिलहाल मालगाड़ी के लिए ज्यादा उपयोगी है। क्षमता अधिक होने के कारण यह इंजन, ज्यादा वैगन लंबी दूरी तक ले जा सकेगा। यह उपलब्धि डीरेका के साथ बनारस की भी है। -मनीष कुमार गुप्ता मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, डीरेका।मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
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