योग से लौट आई गुम हुई आवाज
वाराणसी : देश की तीन कोयला खानों में बड़े ओहदे पर 35 वर्षो की सेवा के बाद अवध नारायण यादव सेवानिवृत ह
By Edited By: Updated: Wed, 15 Jun 2016 02:14 AM (IST)
वाराणसी : देश की तीन कोयला खानों में बड़े ओहदे पर 35 वर्षो की सेवा के बाद अवध नारायण यादव सेवानिवृत हुए तो मानो व्याधियों ने उन्हें घेर लिया। सेवानिवृति के ठीक पांचवें महीने वे एपिलेप्सिकल अटैक का शिकार हो गए। इससे राहत मिली तो धीरे-धीरे आवाज ही गुम हो गई। डाक्टरों ने इसे असाध्य बताया और आपरेशन में सौ फीसद आवाज जाने का खतरा जताया। अवध नारायण पूरी तरह निराशा की गर्त में डूब चुके थे। ऐसे में योग ने उन्हें नवजीवन दिया। एक बार फिर वे गाने गुनगुनाने, बोलने-बतियाने लगे हैं।
अगस्त 2004 में डब्ल्यूसीएल से बतौर सब एरिया मैनेजर पद से रिटायर हुए थे अवध नारायण यादव। स्वस्थ रहने के लिए उन्होंने अपने पांडेयपुर के गायत्रीनगर स्थित आवास की छत पर सुबह टहलान, मीलों साइकिलिंग व सत्संग आदि के लिए भी समय तय कर पालन शुरू कर दिया। लाख एहतियात के बाद भी दिसंबर 2004 में ही एपिलेप्सिकल अटैक ने उन्हें निढाल कर दिया। न्यूरोलाजिस्ट के परामर्श व दवा से किसी तरह मुक्ति मिली तो उनकी आवाज पर बाधाओं का राज हो गया। बोलने के प्रयास पर मुंह से सिर्फ कीं-कां के स्वर आते। बुलाने के लिए इलेक्ट्रानिक अलार्म या तालियां बजाते। बड़े से बड़े ईएनटी विशेषज्ञों को दिखाया, लेकिन बात नहीं बनी। सर्जन ने स्वर यंत्र में खराबी बताते हुए आपरेशन में आवाज पूरी तरह चले जाने की 99 फीसद आशका जता दी। टीवी पर योगगुरु के साक्षात्कार में उन्होंने योग से असाध्य रोगों से मुक्ति का वृत्तात सुना और ले आए सीडी। इसी के साथ उन्होंने विधिवत योगाभ्यास शुरू कर दिया। पांच मिनट से सवा घंटे तक उन्होंने साधना को विस्तार दिया। नियमित रियाज से तीन वर्षो में उनकी आवाज लौट आई। अवध नारायण यादव अब उसी अंदाज में हांका व ठहाका लगाते हैं। नन्हे पोते को लोरी सुनाते हैं, उसकी तोतली बोली में स्वर भी मिलाते हैं।
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