केतु की महादशा ने योगी को पहुंचाया सत्ता के शिखर पर
वाराणसी : जब मर्ज का इलाज कराते-कराते कोई थक- हार जाता है तो बस यही कहा जाता है कि अब दवा नहीं दुआ प
By JagranEdited By: Updated: Tue, 21 Mar 2017 02:39 AM (IST)
वाराणसी : जब मर्ज का इलाज कराते-कराते कोई थक- हार जाता है तो बस यही कहा जाता है कि अब दवा नहीं दुआ पर भरोसा करें। ठीक उसी प्रकार जीवन के शिखर पर पहुंचाने में ग्रह-गोचर का भी विशेष महत्व होता है। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका ज्वलंत उदाहरण हैं। ज्योतिषाचार्यो का मानना है कि सही समय पर केतु की महादशा के प्रभाव के चलते ही योगी की ताजपोशी यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर हुई। उनका मानना है योगी की कुंडली में सूर्य का अद्भुत प्रभुत्व के साथ सूबे की कुंडली में भी बुध की अंतरदशा चल रही है। इससे आगामी पांच वर्षो में उत्तर प्रदेश का चतुर्दिक विकास होगा।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कार्यपालक समिति के सदस्य व ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी योगी की ताजपोशी को सीधे तौर पर ग्रहों के विशेष संयोग का परिणाम मानते हैं। उन्होंने बताया कि धनु लग्न व कन्या राशि में स्थापित उत्तर प्रदेश की कुंडली में एक नवंबर 2014 से आरंभ बुध की महादशा एक नवंबर 2031 तक चलेगी। बुध की महादशा में ही बुध की अंतरदशा 1-11-2014 से 28 मार्च 2017 तक है, उसके बाद केतु का अंतर। इस तरह से पांच वर्षो में बुध की महादशा में केतु, शुक्र व सूर्य का अंतरकाल होगा। यह तीनों ही प्रदेश को चतुर्दिक विकास की ओर ले जाएगी। सिंह लग्न में जन्मे योगी को लाभ योगी आदित्यनाथ का जन्म पांच जून 1972 को सिंह लग्न व कुंभ राशि में हुआ । वर्तमान में केतु की महादशा 21 फरवरी 2017 से 21 फरवरी 2024 तक है। केतु की महादशा में ही केतु का अंतर 21 फरवरी 2017 से 18 जुलाई 2017 तक है। ऐसे में देखा जाए तो केतु की महादशा योगी को विशेष उपलब्धियां दिलाने वाला रहा। कारण कि यह लग्न सिंह में पंचमेल बृहस्पति का सबसे सुखद फल को देने वाला होता है।
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