प्रख्यात तबला वादक पंडित लच्छू महाराज का निधन, संगीत जगत दुखी
सुप्रसिद्ध तबला वादक पंडित लच्छू महराज जी का कल देर रात वाराणसी के एपेक्स अस्पताल में करीब एक बजे निधन हो गयाा। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
वाराणसी (जेएनएन)। बनारस घराने के जाने माने तबला वादक पंडित लच्छू महाराज का कल देर रात वाराणसी में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार कल वाराणसी में ही किया जाएगा।
सुप्रसिद्ध तबला वादक पंडित लच्छू महराज जी का कल देर रात वाराणसी के एपेक्स अस्पताल में करीब एक बजे निधन हो गयाा। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
तस्वीरों में देखें : प्रख्यात तबला वादक स्व.पंडित लच्छू महाराज के विविध रंग
कल रात ही उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज दिन में करीब एक बजे उनका शव उनके पैतृक आवास, दालमंडी पर लाया जायेगा। उनके निधन से संगीत जगत में शोक का माहौल है। वह वर्तमान में विश्व के सर्वश्रेष्ठ तबला वादकों में थे।उनके छोटे भाई अधिवक्ता जयनारायण सिंह के अनुसार दाह संस्कार परसों किया जाएगा। वह 72 वर्ष के थे। तबीयत खराब होने के बाद परिजनों ने उन्हें महमूरगंज स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन चिकित्सकों के तमाम प्रयास के बावजूद उनको बचाया नहीं जा सका।
यह भी पढ़ें- सम्मान लौटाना देश का अपमान : गिरिजा देवी फक्कड़ स्वाभाव के पं. लच्छू महाराज ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी तबला बजाया था। फिल्म अभिनेता गोविंदा उनके भांजे हैं। तबला वादन में तिरकिट और घिरकिट बजाने में उनका कोई सानी नहीं था।इनकी शिष्य परंपरा के सैकड़ों कलाकार देश -दुनिया भर में हुनर का परचम लहरा रहे हैं। पं. लच्छू महाराज के बचपन का नाम लक्ष्मीनारायण सिंह था। अपने पिता वासुदेव नारायण सिंह से ही उन्होंने तबला वादन की शिक्षा ली थी।1972 में भारत सरकार की ओर से पं. लच्छू महाराज ने 27 देशों का दौरा किया था।
लच्छू महाराज ने टीना नाम की फ्रांस की महिला से विवाह किया था। उनकी पुत्री नारायणी अपनी मां के साथ ही इस समय स्विट्जरलैंड में रह रही है। वाराणसी में उनकी पत्नी और पुत्री के आने का इंतजार है। मणिकर्णिका घाट पर कल उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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पंडित लच्छू महाराज के निधन की जानकारी मिलने के बाद संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। विख्यात ठुमरी गायिका गिरिजा देवी ने पं.लच्छू महाराज के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि ऐसा कलाकार दोबारा पैदा नहीं होता। उनको जो बारीकियां मालूम थीं, वह अन्य लोगों के पास नहीं है। मेरे बचपन के दोस्त बनारस घराने के सिद्धस्त तबला वादक थे।
लच्छू महराज ने ठुकरा दिया था पद्मश्री सम्मान
तबला वादक लच्छू महराज ने तबले की थाप से बनारस घराने के संगीत को नई ऊंचाई दी। पिता वासुदेव प्रसाद सिंह से मिली संगीत की थाती को पश्चिमीकरण की आंधी में भी सजोए रखा तो अक्खङ मिजाज बनारसी मन को दिखावा नहीं रास आया। शायद इसी का असर था जो उन्होंने 1972 में पद्मश्री अवार्ड ठुकरा दिया था। उनके शिष्य पंडित छन्नू लाल मिश्र को बाद में यह पुरस्कार दिया गया था। लच्छू महाराज 12 भाई बहनों में चौथे नंबर पर थे। फिल्म अभिनेता गोविंदा उनकी बड़ी बहन के पुत्र हैं।