कुशल सियासतदा कम, प्राध्यापक ज्यादा नजर आए जोशी
अल्मोड़ा में राष्ट्रीय राजनीति कुशल राजनेताओं में शुमार डॉ. मुरली मनोहर जोशी दिग्गज राजनेता कम, प्राध्यापक ज्यादा नजर आए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 04 Nov 2017 04:07 AM (IST)
अल्मोड़ा, [दीप सिंह बोरा]: लंबा राजनीतिक अनुभव। राष्ट्रीय राजनीति कुशल राजनेताओं में शुमार डॉ. मुरली मनोहर जोशी दिग्गज राजनेता कम, प्राध्यापक ज्यादा नजर आए। खासतौर पर विद्यार्थियों से अपनी सदियों पुरानी वैदिक परंपराओं को सीखने, अध्ययन, अनुसंधान व शोध की सीख दे भविष्य के भारत को विश्व गुरु बनाने की बड़ी जिम्मेदारी का बोध भी करा गए। बोले- समय आ गया है 'मैन टू सुपरमैन' बनने का। योग शास्त्र का पाठ पढ़ाते हुए कहा, गहन अध्ययन से इसे समझ लिया तो शरीर, आत्मा व मस्तिष्क का विज्ञान भी समझ आ जाएगा। लगे हाथ योग को समझने के लिए संस्कृत की महत्ता गिना देववाणी की ओर ध्यान भी खींचा।
मौका था मर्म चिकित्सा पर एसएसजे परिसर (कुमाऊं) में 'मर्म चिकित्सा द्वारा विभिन्न रोगों की चिकित्सा' विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का। राजनेता से इतर जिम्मेदार प्राध्यापक की तरह डॉ. जोशी ने युवाओं को आत्मपरीक्षण की सीख दी। बोले- हजारों वर्ष पूर्व ऋषि मनिषियों ने जो ज्ञान दिया है उसे न केवल याद रखें। बल्कि उसकी उपयोगिता को जानने और उसे उपयोगी बनाने के लिए नित नए शोध भी करें। यह भी सिखाया कि कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, अनुशासन व उत्तरदायित्व भूलें नहीं हमेशा याद रखें। कहा कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति व विज्ञान ही था जिसने भारत को विश्वगुरु बनाया। मर्म चिकित्सा व योग शिक्षा हमें स्वस्थ बनाती है। आयु भी बढ़ाती है। एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्प्रभाव गिनाए तो आयुर्वेद व अन्य पुरातन विज्ञान को धरोहर बता नए अनुसंधान की ओर ध्यान भी खींचा।
समय, पैसा और बचाओ शरीर डॉ. जोशी बोले- मानव शरीर में 70 प्रतिशत पानी होता है। मर्म चिकित्सा की खूबी बताते हुए कहा कि शरीर के मर्म स्थानों पर कितना दबाव देना है। निश्चित समयावधि में दबाव से किसी व्याधि को समाप्त करना ईश्वरीय चिकित्सा विज्ञान ही है। क्षत विक्षत अंगों को पुनजीर्वित करने के इस विज्ञान पर विद्यार्थी सूक्ष्मता से अध्ययन कर शोध करें। वजह, समय, ऐलोपैथिक इलाज में धन की बर्बादी व शरीर तीनों बचेंगे।
ध्वज पताका को विश्व स्तर पर उठाना होगा कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने कहा, मर्म चिकित्सा, योग व आयुर्वेद को भारतीय विज्ञान वं संस्कृति का ध्वजवाहक बताया। अध्ययन व शोध का ही नतीजा है कि शरीर में 107 मर्म बिंदु माने गए हैं जबकि केरल के मर्म विज्ञान में 365 मर्म स्थान चिह्निïत किए गए हैं। उन्होंने इस वैदिक पद्धति को विश्वस्तर पर उठाने का आह्वान किया। कालखंड से बाधा नहीं जा सकता गुरुकुल कांगड़ी में मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार जोशी ने कहा, मर्म विज्ञान विश्व की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। इस चिकित्सा पद्धति को कालखंड में बांधा नहीं जा सकता। इस चिकित्सा के जरिये क्रियाशील किए जाने वाले 107 तंत्र यानी मर्म बिंदु हमारे शरीर में मानवीय विकास से ही है। वैदिक ज्ञान, संस्कृति व विज्ञान से ही भारत विश्वगुरु बन सकता है। उन्होंने कहा, हिंदी में भी मर्म चिकित्साप पर पुस्तकें लिखी जा रही हैं। विभागाध्यक्ष (योग) डॉ. नवीन चंद्र भट्ट ने योग व मर्म चिकित्सा पद्धति को भारत की धरोहर बताया। इन पद्धतियों से गंभीर रोगों को साधा जा सकता है। बताया कि कार्यशाला में 350 लोगों ने हिस्सा लिया। 251 से ज्यादा रोगियों का उपचार देकर उनकी व्याधियां दूर की गई। देश में मिली नई पहचान समन्वयक योग शिक्षा (कुमाऊं विवि) प्रो. देव सिंह पोखरिया ने विभाग स्थापित करने में कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी के प्रयासों को सराहनीय बताया। कहा कि वर्ष 2006 से शुरू विभाग ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल की है। 650 से ज्यादा विद्यार्थी राष्ट्र व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवि का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। कहा कि मर्म चिकित्सा वर्तमान में बड़ी जरूरत बन गया है। पुस्तक का विमोचन वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ.मुरली मनोहन जोशी ने वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधार्थी, जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण एवं शोध संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. महेश नंद, महिला वैज्ञानिक डॉ. प्रियंका मैती व वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुभाष चंद्र की संयुक्त पुस्तक 'उत्तराखंड का पर्यावरण एवं स्वास्थ्य चुनौतियां' पुस्तक का विमोचन किया। इस मौके पर कुलपति आवासीय विवि प्रो. एचएस धामी, प्रभारी निदेशक प्रो. दया पंत, उपनिदेशक उच्च शिक्षा प्रो. कमल पांडेय, योग शिक्षा समन्वयक कुमाऊं विवि प्रो. देव सिंह पोखरिया, प्रांत प्रचारक आरएसएस देवेंद्र, भाजपा जिलाध्यक्ष गोविंद पिलखवाल, प्रो. विजय पांडे, प्रो. हरीश जोशी, डॉ. ललित जोशी, हेमलता अवस्थी, देवेंद्र धामी, संदीप नयाल, अमित गोस्वामी आदि मौजूद रहे।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में दो राजधानी का विरोध करूंगा: किशोर उपाध्याययह भी पढ़ें: नोटबंदी व जीएसटी के विरोध में काला दिवस मनाएगी कांग्रेस
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