हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में छात्रों से लिखवाया 'मेरा भारत महान नहीं', जानने को पढ़ें...
'मेरा भारत महान नहीं'। इस एक वाक्य को सुन और पढ़कर किसी का भी खून खौल जाएगा। भारत से अगाध प्रेम का ही नतीजा है कि जेएनयू प्रकरण पर पूरे देश में आलोचनाओं का सिलसिला अभी तक जारी है।
रमेश जड़ौत, अल्मोड़ा। 'मेरा भारत महान नहीं'। इस एक वाक्य को सुन और पढ़कर किसी का भी खून खौल जाएगा। भारत से अगाध प्रेम का ही नतीजा है कि जेएनयू प्रकरण पर पूरे देश में आलोचनाओं का सिलसिला अभी तक जारी है। मगर उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की एक बड़ी चूक ने बच्चों को मेरा भारत महान नहीं लिखने पर मजबूर कर दिया। जी हां, दसवीं के पेपर में परिषद ने एक सवाल कुछ ऐसा पूछा कि उसका जवाब मेरा भारत महान नहीं लिखा गया।
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया के राष्ट्र विरोधी नारे लगाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा, इस बीच उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद ने हाई स्कूल हिन्दी के प्रश्न पत्र में एक सवाल ऐसा दे दिया कि जिससे बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया। हाई स्कूल हिन्दी के प्रश्न पत्र में पांचवें प्रश्न 'क' में निषेधात्मक वाक्य बनाने का कहा गया है।
इसके तहत मेरा भारत नहीं वाक्य का निषेधात्मक/नकारात्मक वाक्य बनाने को कहा गया है। जाहिर तौर पर इस वाक्य का नकारात्मक मेरा भारत महान नहीं है लिखा जाएगा। जिन स्कूलों में बच्चे मेरा भारत महान है, जैसे प्रेरक बातों व गीतों से प्रेरित होकर गौरवान्वित होते रहे हैं, वही बच्चे पूछे गए प्रश्न का जवाब लिखने में सकुचाते रहे।
इतनी बड़ी चूक सामने आने पर छात्रों समेत अभिभावकों में तीखी प्रतिक्रिया दी। वहीं मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा वीएन सिंह ने कहा कि यह प्रश्न राष्ट्र से जुड़ा है। राष्ट्र से जुड़े प्रश्नों में सकारात्मकता होनी चाहिए। बच्चों से देश के बारे में नकारात्मक नहीं लिखवाना चाहिए। ऐसा प्रश्न नहीं पूछा जाना चाहिए था।
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