इन महिलाओं की पहल पर 50 गांवों ने शादी में शराब से की तौबा, परोसते हैं छाछ, पढ़ें...
सूर्य अस्त, पहाड़ मस्त। पहाड़ों की जीवटता, खूबसूरती पर यह जुमला पानी फेर देता है। पहाड़ों में हर शाम हर घर में छलकते जाम की वजह से पूरा गढ़वाल बदनाम है। मगर 12 सहेलियां पहाड़ पर लगे इस दाग को धोने के लिए कमरकस चुकी हैं।
गोपेश्वर। सूर्य अस्त, पहाड़ मस्त। पहाड़ों की जीवटता, खूबसूरती पर यह जुमला पानी फेर देता है। पहाड़ों में हर शाम हर घर में छलकते जाम की वजह से पूरा गढ़वाल बदनाम है। मगर 12 सहेलियां पहाड़ पर लगे इस दाग को धोने के लिए कमरकस चुकी हैं। इन सहेलियों ने मध्य हिमालय के पचास गांवों में सुकून लौटा दिया। वरना पियक्कड़ों ने शाम ढलने पर महिलाओं का घर से बाहर निकलना ही बंद करा दिया था।
दसवीं पास देवेश्वरी देवी की शादी वर्ष 1998 में बगड्वालधार पाडुली के कमल सिंह से हुई। उन्होंने देखा कि शराबियों ने हर जगह उत्पात मचाया हुआ है। यहां तक कि बाजार आना-जाना भी महिलाओं के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं था। वर्ष 2012 में उन्होंने गांव की महिलाओं के साथ शराब बंदी को लेकर मुहिम छेड़ने की शुरुआत की। इसके बाद बिलेश्वरी रावत, सुलोचना, शिवदेई रावत, भारती रावत, सुभागा नेगी, मंजू देवी, धर्मा देवी, आशा देवी, बसंती देवी, भुवना देवी, उर्मिला देवी उनके साथ हो लिए।
इन सहेलियों की मुहिम का ही असर है कि पीपलकोटी, नौरख, अगथला, किरुली, कम्यार, मंगरोली, मंडल, सिरोली, बैरागना जैसे गांवों में अब विवाह अथवा अन्य समारोह में शराब नहीं परोसी जाती। इसकी जगह मेहमानों का स्वागत दूध, दही और छाछ से किया जाता है।
देवेश्वरी और उनकी साथियों ने समारोह वाले घर में साफ कह दिया कि शराब परोसे जाने पर वे इस घर में काम नहीं करेंगी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में जब शराबियों पर असर नहीं हुआ तो उन्होंने डीएम और पुलिस अधीक्षक से कार्रवाई की मांग की। इसके बाद सभी उनकी मुहिम में जुड़ते गए।
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