इन महिलाओं के जज्बे को सलाम, उठाया फावड़ा और बना दी नहर
आपदा के तीन साल बाद भी जब तंत्र ने किसानों की सुध नहीं ली तो नाराज मंगरोली गांव की महिलाओं ने खुद ही फावड़ा, गैंती और बेलचा उठाकर श्रमदान किया।
गोपेश्वर, [जेएनएन]: आपदा के तीन साल बाद भी जब तंत्र ने किसानों की सुध नहीं ली तो नाराज मंगरोली गांव की महिलाओं ने खुद ही फावड़ा, गैंती और बेलचा उठाकर श्रमदान किया। इस काम में युवाओं और पुरुषों ने भी उनका साथ दिया तो चार दिन में ही सिंचाई नहर तैयार हो गई।
वर्ष 2013 की आपदा में विकासखंड कर्णप्रयाग के ग्राम मंगरोली में सिंचाई नहर 300 मीटर बह गई थी। इससे किसानों की 400 नाली से अधिक भूमि असिंचित हो गई।
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नहर क्षतिग्रस्त होने के बाद ग्रामीणों ने लघु सिंचाई विभाग कार्यालय के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों से नहर को मरम्मत के लिए कई चक्कर काटे, लेकिन वे ग्रामीणों को नहर की मरम्मत के नाम पर टरकाते रहे। इसका परिणाम यह निकला कि ग्रामीण खेतों की सिंचाई से मोहताज हो गए।
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ग्रामीणों का कहना है कि वे जब भी विभागीय अधिकारियों के पास गए तो वह आपदा मद से धनराशि न मिलने का बहाना बनाते रहे। इसका परिणाम यह निकला कि किसानों के खेत बंजर हो गए। इसके बाद बीते साल ग्रामीणों ने किसी तरह कच्ची गूल बनाकर गांव तक पानी पहुंचाया था, लेकिन बारिश के बाद नंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने से 200 मीटर नहर बह गई।
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इस साल मंगरोली के ग्रामीणों की परेशानी यह थी, कि उन्होंने रोपाई के लिए धान के बीज बो दिया था। पानी न होने से खेतों के बंजर रहने की स्थिति आ गई थी। महिलाओं ने निर्णय लिया कि वे श्रमदान से ही नहर की मरम्मत करेंगे। इस काम के लिए महिलाओं के साथ युवाओं और बुजुर्गों ने भी भागीदारी की और चार दिन के प्रयासों से कच्ची गूल निकालकर खेतों तक पानी पहुंचाया दिया।
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नहर बनने से अब गांव में 400 नाली खेतों में धान की रोपाई का काम शुरू होने से खुशी का माहौल है। कुंवर सिंह कंडेरी का कहना है कि महिलाओं की हिम्मत से पानी गांव तक पहुंचा। पूर्व प्रधान सतेश्वरी देवी का कहना है कि सिंचाई नहर के लिए अगर प्रशासन के चक्कर काटते तो सरकारी तंत्र में होने वाली देरी का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता।
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