चीन सीमा पर एक ऐसा सरोवर, जिसमें दिखती है नाग की आकृति
सीमांत चमोली जिले के जोशीमठ प्रखंड में नीति पास एक ऐसा सरोवर है जिसमें नाग की आकृति नजर आती है।
By sunil negiEdited By: Updated: Sun, 19 Jun 2016 09:40 AM (IST)
चमोली, [देवेंद्र रावत]: सीमांत चमोली जिले के जोशीमठ प्रखंड में नीति पास एक ऐसा सरोवर है जिसमें नाग की आकृति नजर आती है। लेकिन चीन सीमा से लगे इस क्षेत्र में आम लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित होने के कारण देश-दुनिया इस सरोवर से अनभिज्ञ हैं।
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देश के अंतिम गांव माणा से 15 किलोमीटर आगे घसतोली के पास नाग सरोवर सरस्वती नदी के बायीं ओर स्थित है। लगभग 200 मीटर क्षेत्रफल वाले इस सरोवर का पानी सरस्वती नदी में प्रवाहित होता है। लेकिन, नजर ऐसे आता है, मानो विपरीत दिशा में हिलौरें मार रहा हो।
इससे सरोवर के अंदर लगातार नाग की आकृति बनती नजर आती है। लेकिन, अब तक सिर्फ गंगोत्री धाम से अरबाताल होते हुए आने वाले पर्यटक ही नाग सरोवर पहुंच पाते हैं, जिनकी संख्या गिनती की है। हालांकि, माणा गांव के ग्रामीण भी यहां पूजा-अर्चना के लिए जाते रहते हैं। लेकिन, माणा से आगे आम लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित होने के कारण पर्यटकों की नजरों से नाग सरोवर अब भी दूर ही है।
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ग्रामीणों की लंबे समय से मांग रही है कि इस सरोवर तक स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों की आवाजाही सुनिश्चित की जाए। इसी के मद्देनजर विगत दिवस गढ़वाल कमिश्नर सीएस नपलच्याल ने स्थानीय प्रशासन व आइटीबीपी के अधिकारियों के साथ इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था। कमिश्नर ने माना कि यह स्थान धार्मिक पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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कमिश्नर के निरीक्षण के बाद नागताल में पर्यटकों की आवाजाही की उम्मीद बढ़ी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यहां तक पर्यटकों की आवाजाही सुनिश्चित कर दी जाए तो यह सरोवर देश-दुनिया से आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
नाग सरोवर में नाग की आकृति दिखती है। साथ ही माणा गांव के ग्रामीण यहां पर जाकर पूजा-अर्चना करते रहे हैं। वर्तमान में माणा के ग्रामीणों को ही यहां जाने से रोकने की बात सामने आई है। नाग सरोवर में पर्यटन गतिविधियों को लेकर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। स्थानीय प्रशासन की अनुमति से यहां जाया जा सकता है।
-सीएस नपलच्याल, गढ़वाल कमिश्नर
ग्रामीणों की लंबे समय से मांग रही है कि इस सरोवर तक स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों की आवाजाही सुनिश्चित की जाए। इसी के मद्देनजर विगत दिवस गढ़वाल कमिश्नर सीएस नपलच्याल ने स्थानीय प्रशासन व आइटीबीपी के अधिकारियों के साथ इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था। कमिश्नर ने माना कि यह स्थान धार्मिक पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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कमिश्नर के निरीक्षण के बाद नागताल में पर्यटकों की आवाजाही की उम्मीद बढ़ी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यहां तक पर्यटकों की आवाजाही सुनिश्चित कर दी जाए तो यह सरोवर देश-दुनिया से आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
नाग सरोवर में नाग की आकृति दिखती है। साथ ही माणा गांव के ग्रामीण यहां पर जाकर पूजा-अर्चना करते रहे हैं। वर्तमान में माणा के ग्रामीणों को ही यहां जाने से रोकने की बात सामने आई है। नाग सरोवर में पर्यटन गतिविधियों को लेकर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। स्थानीय प्रशासन की अनुमति से यहां जाया जा सकता है।
-सीएस नपलच्याल, गढ़वाल कमिश्नर
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ऐसे पहुंचें
ऋषिकेश से बदरीनाथ होते हुए माणा तक सड़क सुविधा उपलब्ध है। माणा से स्थानीय प्रशासन की अनुमति से नीति पास तक सेना के उपयोग के लिए बनी सड़क के जरिए 15 किलोमीटर घसताली पहुंचा जा सकता है। हालांकि, माणा से आगे छोटे वाहन ही सेना की सड़क पर जा सकते हैं। फिर यहां सड़क की स्थिति भी बेहद खराब है। घसतोली में आइटीबीपी चौकी पर वाहन और अनुमति पत्र की जांच के बाद डेढ़ किलोमीटर पैदल दूरी तय कर नाग सरोवर पहुंचा जा सकता है।पढ़ें:-गंगोत्री स्थित सूर्यकुंड में दिया था भगीरथ ने सूर्य को अर्घ्य
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