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प्रशासन ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद ही कर दी नहर की मरम्मत

विकासखंड घाट जाखणी गांव में क्षतिग्रस्त नहर की जब प्रशासन ने मरम्मत नहीं की तो ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान कर नहर को तैयार कर दिया। अब पानी मिलने से धान की रोपाई शुरू कर दी।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 25 Jun 2016 03:39 PM (IST)
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गोपेश्वर, [देवेंद्र रावत]: ग्रामीणों ने श्रमदान से क्षतिग्रस्त नहर की मरम्मत कर प्रशासन को आईना दिखा दिया। बात जाखणी गांव की हो रही है। पिछले दिनों बादल फटने से रोड गदेरा उफना गया था, जिससे जाखणी की नहर क्षतिग्रस्त हो गई थी। ग्रामीणों ने पहले प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई तो बिना इंतजार किए श्रमदान कर नहर की मरम्मत कर दी। खेतों में पानी पहुंचने के बाद धान की रोपाई शुरू कर दी गई है।
विकासखंड घाट जाखणी गांव में तीन दिन पहले बादल फटने से रोडा गदेरे में भारी तबाही हुई थी। 40 से अधिक भवनों पर भू-कटाव से खतरा मंडरा रहा है। इन दिनों धान की रोपाई चल रही है। गांव की सम्पन्नता का आधार माने जाने वाली चार हजार से अधिक नाली भूमि को सिंचित करने वाली नहर हिवांल तोक के पास बह गई थी, जिससे ग्रामीणों को आजीविका की चता सताने लगी थी।

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प्रशासन से गुहार लगाने के बाद गांव में पटवारी ने भ्रमण किया, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। ऐसे में ग्रामीणों ने सरकारी तंत्र का इंतजार करने के बजाय खुद ही आपदा में बही नहर का निर्माण करने का फैसला किया। ग्रामीणों ने यह विचार जब साझा किया तो सहमति बनी कि श्रमदान से नहर बनाकर पानी को खेतों तक पहुंचाया जाए।
गांव के 80 वर्षीय धन सिंह नेगी ने कहा कि तीन दशक पहले ही यह नहर सरकार ने पक्की की थी। इससे पहले ग्रामीण खुद ही नहर की मरम्मत श्रमदान से करते थे। यह विचार ग्रामीणों को इसलिए भी बेहतर लगा, क्योंकि सरकारी सिस्टम में नहर की मरम्मत के लिए लंबा समय लगता है।

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ऐसे में अगर पानी खेतों तक नहीं पहुंचा तो ग्रामीणों को वर्षभर के अनाज के लाले पड़ जाते। गांव के 150 से अधिक परिवारों के 500 से अधिक महिला, पुरुष, बच्चों और बुजुर्गो ने श्रमदान में हिस्सा लेकर दो दिनों में ही 200 मीटर से अधिक लंबी कच्ची नहर का निर्माण कर खेतों तक पानी पहुंचाने में सफलता हासिल कर ली।

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ग्रामीण सरकारी सिस्टम से भले ही खफा हों, लेकिन श्रमदान से गांव की एकता की नई उम्मीद जगी है। गांव के पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य राजेंद्र कठैत का कहना है कि नहर निर्माण के बाद अब क्षतिग्रस्त पेयजल योजना की मरम्मत के लिए भी ग्रामीण आगे आए हैं।
ग्राम प्रधान जाखणी मनोज सिंह कठैत का कहना है कि सरकारी योजना का इंतजार करते तो बहुत देर हो जाती और ग्रामीणों की धान की रोपाई धरी रह जाती। ऐसे में श्रमदान से नहर निर्माण का कार्य सराहनीय है।
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