कत्ल करना था तो साफ कह देते
जागरण संवाददाता, देहरादून: ओएनजीसी के एएमएन घोष सभागार में शुक्रवार शाम अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन की धूम रही। कवियों ने हास्य के माध्यम से जहां व्यवस्था पर तीखे तंज कसे, वहीं जीवन के विविध पक्षों को बहुत ही सरल ढंग से उभारा। कवि सम्मेलन के दौरान दर्शकों के बीच से हंसी की फुहारें फूटती रहीं।
हास्य कवि सम्मेलन का आगाज ओएनजीसी अकादमी के अधिशासी निदेशक केएल मेहरोत्रा के हाथों दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। शुरुआत राजेंद्र मालवीय इटारसी ने 'उम्र के ये फूल मुरझा जाएंगे, न जाने हवा में कहां बिखर जाएंगे' और 'मुझे रुलाया तो आंसू बनकर टपकूंगा, मुझे मिट्टी किया तो आंसू बनकर निकलूंगा' कविताएं पढ़कर किया। मुंबई से आए कवि मुकेश गौतम ने कहा, 'कत्ल करना था तो साफ कह देते, क्या जरूरत थी मुस्कराने की'। इसके अलावा धमचक मुलथानी , लक्ष्मी दत्त तरुण (कोटा), सरदार रतन सिंह रतन (मेरठ), घनश्याम अग्रवाल (अकोला-महाराष्ट्र), योगेंद्र मुद्गिल (पानीपत-हरियाणा) व नफीसुद्दीन कोही (देहरादून) ने भी काव्य पाठ किया। इस मौके पर दिनेश चंद्र थपलियाल, देश दीपक मिश्र, कुसुम मीरचंदानी, बैजनाथ सिंह, अभय उनियाल आदि मौजूद रहे।
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