उत्तराखंड: कैबिनेट में जाएगा वेतन कटौती का मसला
उत्तराखंड में सचिवालय सेवा संवर्ग के वेतनमान में हुई कटौती के मसले पर पुनर्विचार किया जाएगा। इसक मामले को कैबिनेट के सामने लाया जाएगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 14 Sep 2017 08:48 PM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सचिवालय सेवा संवर्ग के वेतनमान में हुई कटौती का मसला पुनर्विचार के लिए कैबिनेट के सामने लाया जाएगा। इससे पूर्व हुई कैबिनेट बैठक में सचिवालय सेवा समेत पांच संवर्गों के वेतनमान को केंद्रीय कर्मचारियों के समान करने का फैसला लिया गया था। कारण यह बताया गया कि यहां के कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारियों से अधिक वेतन ले रहे हैं। कर्मचारियों की हड़ताल के बाद शासन में इस संबंध में बैठक हुई थी। अब शासन और सचिवालय संघ के बीच हुई बैठक में इस संबंध में कार्यवृत्त जारी कर दिया गया है।
शासन में हुई पिछली कैबिनेट की बैठक में वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट में पांच संवर्गो के वेतन कम करने का निर्णय लिया था। तर्क यह था कि उत्तराखंड के कर्मचारियों का वेतन इसी संवर्ग के केंद्रीय कर्मचारियों से अधिक है। इसके लिए वेतन विसंगति की समिति ने तमाम आंकड़े भी सामने रखे। इसमें साफ किया गया कि राज्य सचिवालय में समीक्षा अधिकारी का ग्रेड वेतन 4800 रुपये है। वहीं केंद्र में यह ग्रेड वेतन 4600 रुपये है। इतना ही नहीं, यहां पदोन्नति के बाद वेतन ग्रेड पे 8700 तक पहुंचता है जबकि केंद्र में पदोन्नति के बाद यह 6600 ही है। प्रदेश में फार्मासिस्ट का मौजूदा ग्रेड वेतन 4200 है। पदोन्नति के बाद यह 7600 तक पहुंचता है। वहीं केंद्र में ग्रेड वेतन 2800 रुपये है और पदोन्नति के बाद यह 5400 तक पहुंचता है। प्रदेश में कनिष्ठ अभियंता का ग्रेड वेतन 4600 है।
केंद्र में इस पद पर 4200 ग्रेड वेतन है। इसी प्रकार प्रदेश में मानचित्रकार व मानचित्रकार ग्रेड-तीन के लिए मौजूदा ग्रेड वेतन 4200 है। वहीं केंद्र में इन्हें 2400 रुपये का ग्रेड वेतन दिया जाता है। प्रदेश में मिनिस्टीरियल संवर्ग के इस एलडीसी के पद का मौजूदा ग्रेड वेतन 2000 है, जबकि केंद्र में यह 1900 रुपये है। वेतन विसंगति समिति ने इसी को आधार बनाते हुए प्रदेश के कर्मचारियों का वेतन कम करने की सिफारिश की थी। इससे कर्मचारी संगठनों में रोष फूट पड़ा। सचिवालय संघ ने इसके विरोध में एक दिन विधानसभा व सचिवालय में कामकाज ठप रखा।
इस पर पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और फिर प्रभारी मुख्य सचिव रणवीर सिंह से वार्ता के बाद इस मसले पर पुनर्विचार के लिए सहमति बनी थी। अब प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन आनंद वर्द्धन की ओर से इसका कार्यवृत्त जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि इस मसले को पुनर्विचार के लिए कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। हालांकि, इसमें अन्य संवर्गों के बारे में कोई बात नहीं कही गई है।
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