दून में शराब की लत और नियमों की अनदेखी दे रही मौत को दावत
राजधानी देहरादून में लगातार बढ़ सड़क हादसों में इज़ाफा हो रहा है। एक सर्वे के मुताबिक इनकी वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना और यातायात के नियमों की अनदेखी करना है।
देहरादून, [जेएनएन]: मंजिल तक पहुंचाने वाली सड़कों पर जरा सी लापरवाही सफर को मौत के सफर में बदलने में देर नहीं लगाती। साल 2017 के गुजरे दस महीने में हुए ढाई सौ हादसों में अधिकांश सवार की लापरवाही उनकी जिंदगी पर भारी पड़ी तो कहीं नियमों के प्रति बेपरवाही ने सफर पर निकले शख्स को मौत की नींद सुला दिया।
यातायात पुलिस की ओर से हादसों को लेकर किए गए सर्वेक्षण पर नजर डालें तो देहरादून जनपद में इस साल अब तक 245 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 102 लोगों की मौत हो चुकी है और 220 लोग घायल हो चुके हैं। घायलों में 76 लोग जीवन भर के लिए दिव्यांग भी हो गए हैं। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि हादसों के बाद प्रभावित परिवारों पर क्या गुजरती है। एसपी ट्रैफिक धीरेंद्र गुंज्याल की मानें तो सड़क हादसे नियमों के प्रति लापरवाही से ही होते हैं। हादसों के प्रमुख कारणों में शराब पीकर गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करना, ओवरलोडिंग और यातायात नियमों के प्रति अनदेखी शामिल हैं।
मोबाइल फोन का प्रयोग
मोबाइल फोन का प्रयोग भले ही हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग हो। लेकिन, देहरादून जनपद में 20 फीसद हादसे वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग करने से हुए हैं।
तेज रफ्तार
तेज गति से वाहन चलाना युवाओं में फैशन सा बन गया है। खासकर स्कूली छात्रों में यह प्रवृति तेजी से बढ़ रही है। 25 फीसद हादसों का कारण यह भी है।
ड्रिंक एंड ड्राइव
ड्रिंक एंड ड्राइव सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण है। इसकी वजह से देहरादून में 40 फीसद के करीब हादसे होते हैं।
रेड लाइट जंप
रेड लाइट जंप करना भले ही कुछ लोगों ने अपना शगल बना लिया हो, मगर हकीकत यह है कि शहरी क्षेत्र में 15 से 20 फीसद इसी वजह से हुए हैं।
खतरनाक ओवरटेक
सड़क पर वाहन चलाते समय लोग खुद को किसी रेसर से कम नहीं समझते और ओवरटेकिंग करना अपना हुनर मानते हैं। गलत ओवरटेक से दून में दस फीसद के करीब हादसे हुए हैं।
यातायात नियमों की अनदेखी
एक सर्वे के मुताबिक लगभग 75 प्रतिशत लोग यातायात के नियमों अनजान होते हैं। ऐसे में ड्रिंक एंड ड्राइव के बाद सड़क हादसों का यह दूसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है।
डेंजर प्वाइंट
डेंजर प्वाइंट भी हादसों की प्रमुख वजहों में से एक हैं। लगभग 25 फीसद हादसे इन्हीं डेंजर जोन में होते हैं। बावजूद इसके 49 में से अधिकांश डेंजर प्वाइंट जस के तस पड़े हैं।
ट्रैफिक वॉलिंटियर यशवीर आर्य ने बताया कि मैदानी क्षेत्रों में यातायात नियमों की अनदेखी और नशा सड़क हादसों के बड़े कारण हैं। जबकि, पर्वतीय क्षेत्रों में ओवरलोडिंग और वाहनों की फिटनेस न होने से हादसे होते हैं। इसमें हमारी तो जिम्मेदारी बनती ही है, साथ ही सिस्टम को भी मूलभूत कारणों पर गौर करते हुए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
वहीं दून रेजीडेंट वेलफेयर फ्रंट के महेश भंडारी ने कहा कि यातायात नियमों की अनदेखी से होने वाले हादसों के लिए तो हम खुद ही जिम्मेदार हैं। इसमें रैश ड्राइविंग, तीन सवारी, सीट बेल्ट न बांधना जैसे कारण मुख्य हैं। वहीं जिस तरह से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, उसके अनुसार आधारभूत ढांचे का विकास नहीं हो पाया है। वाहनों की संख्या सड़कों पर तेजी से बढ़ी है, मगर सड़कें वर्षों पुरानी ही हैं।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि यातायात नियमों की अनदेखी और नशा सड़क हादसों के बड़े कारण हैं। इसके लिए पुलिस की ओर से व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। विशेषकर स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं ताकि आने वाली पीढ़ी यातायात नियमों और सड़क हादसों की गंभीरता को समझ सके।
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