उत्तराखंड: विपक्ष की गैरमौजूदगी में सदन में विनियोग विधेयक पारित
आखिरकार हरीश रावत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए विनियोग विधेयक पर नए सिरे से विधानसभा की मुहर लगा दी।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: लंबी जिद्दोजहद और विपक्ष की गैर मौजूदगी में आखिरकार हरीश रावत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए विनियोग विधेयक पर नए सिरे से विधानसभा की मुहर लगा दी। कुल 40422.21 करोड़ के सालभर के बजट में केंद्र सरकार से पारित चार माह के 13642.43 करोड़ के लेखानुदान को शामिल किया गया है।
विधेयक के साथ फुटनोट में राज्य सरकार ने अपना मत साफ किया है कि लेखानुदान को समायोजित करते हुए वित्तीय वर्ष के शेष भाग के लिए प्रतिस्थानी उत्तराखंड विनियोग विधेयक लाया गया, ताकि राज्य के वित्तीय हित को संकट से बचाया जा सके। विधेयक पारित होने के साथ ही प्रदेश में 31 जुलाई के बाद वित्तीय वर्ष की शेष अवधि के लिए वित्तीय संकट उत्पन्न होने का अंदेशा अब खत्म हो गया है।
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दो दिनी विधानसभा सत्र के पहले दिन दोपहर को भोजनावकाश के बाद वित्त मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश ने विपक्ष की गैर मौजूदगी में ही विनियोग विधेयक सदन में पेश किया। चालू वित्तीय वर्ष के लिए विधेयक में कुल 40 हजार 422 करोड़ 21 लाख 13 हजार रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। ये प्रावधान 31 महकमों के लिए राजस्व और पूंजीगत मदों में पहले के विनियोग विधेयक के मुताबिक हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पारित उत्तराखंड विनियोग (लेखानुदान) अधिनियम, 2016 को विधेयक का हिस्सा बनाया गया है। लेखानुदान की राशि 13 हजार 642 करोड़ 43 लाख 85 हजार कुल सालाना बजट का हिस्सा है। इसके लिए विधेयक में लेखानुदान के बारे में फुटनोट भी लगाया गया है। इसमें कहा गया कि 18 मार्च को उत्तराखंड विनियोग विधेयक, 2016 को सदन में पारित किया गया था।
27 मार्च को राष्ट्रपति शासन की घोषणा जारी हुई। विधानसभा से पारित विनियोग विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के लिए 28 मार्च को भेजा गया था। राज्यपाल ने उक्त विधेयक राष्ट्रपति के विचार को संदर्भित किया। विनियोग विधेयक पर अभी तक अनुमति प्राप्त नहीं हो सकी है। राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में राज्यपाल और केंद्र सरकार से अनुरोध किया जा चुका है।
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फुटनोट में 18 मार्च का जिक्र करते हुए कहा गया कि राज्य सरकार ने विधानसभा में विनियोग विधेयक को वैध रूप से पारित कराया था। अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह मामला विचाराधीन होने से प्रतिस्थानी उत्तराखंड विनियोग विधेयक, 2016 लाना आवश्यक हो गया। लेखानुदान के माध्यम से वित्तीय वर्ष के एक भाग के लिए ही वित्तीय व्यवस्था है। वित्तीय वर्ष के शेष भाग के लिए वित्तीय व्यवस्था करना संवैधानिक आवश्यक और बाध्यता दोनों है।
उत्तराखंड विनियोग विधेयक, 2016 पारित होने के तथ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना लेखानुदान को समायोजित करते हुए प्रतिस्थानी विनियोग विधेयक लाया जा रहा है। फुटनोट में उत्तराखंड हाईकोर्ट की ओर से विधानसभा में विनियोग विधेयक को पारित माने जाने का उल्लेख भी किया गया है।
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