उत्तराखंडः नए सिरे से पारित कराना होगा विनियोग विधेयक
लेखानुदान के चलते नई घोषणाओं पर अमल करने में पेश आ रही दिक्कतों के चलते प्रदेश सरकार को नए सिरे से विनियोग विधेयक पारित कराना पड़ेगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: लेखानुदान के चलते नई घोषणाओं पर अमल करने में पेश आ रही दिक्कतों के चलते प्रदेश सरकार को नए सिरे से विनियोग विधेयक पारित कराना पड़ेगा। इसे देखते हुए सरकार ने चार और पांच जुलाई को विधानसभा का सत्र आहूत करने का फैसला लिया है। हालांकि, इस फैसले के साथ ही सरकार ने केंद्र पर सियासी वार करने का मौका नहीं छोड़ा। पिछले विनियोग विधेयक को राष्ट्रपति से मंजूरी दिलाने को मुख्यमंत्री हरीश रावत दोबारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध करेंगे। यही नहीं, उक्त विधेयक पर अदालत का दरवाजा खटखटाने का विकल्प भी खुला रखा गया है।
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बीती 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पेश किए जाने के दौरान कांग्रेस सरकार के नौ विधायकों ने बगावत कर दी थी। इसके बाद सियासी बवाल के चलते प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था। इस बीच केंद्र सरकार ने वित्तीय संकट उत्पन्न होने पर प्रदेश के लिए लेखानुदान पारित कराया था।
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वहीं तकरीबन 55 दिन के सियासी संकट के बाद प्रदेश में हरीश रावत सरकार बहाल हुई। बहाल होने के बाद सरकार इस कोशिश में जुटी है कि विनियोग विधेयक को पारित माना जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रधानमंत्री को पत्र भेज चुके हैं।
दरअसल, विनियोग विधेयक नए सिरे से पारित कराने की स्थिति में एक बार फिर मत विभाजन की नौबत आना तय है। बीती 18 मार्च को मत विभाजन की मांग को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है। मत विभाजन के चलते एक बार फिर सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ सकता है।
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इस वजह से सरकार विधानसभा सत्र आहूत करने से बचने का भरसक प्रयत्न कर रही है। लेकिन, सच्चाई ये भी है कि सरकार को नए सिरे से विनियोग विधेयक पारित करना होगा। लेखानुदान केवल चार माह यानी 31 जुलाई तक है। इसके बाद शेष वर्ष के लिए बजट का संकट खड़ा हो सकता है।
लिहाजा सरकार ने जुलाई के पहले हफ्ते में दो दिनी सत्र तो बुला लिया, लेकिन यह साफ नहीं किया कि यह विनियोग विधेयक के लिए बुलाया गया है। इससे पहले सरकार केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के तमाम हथकंडे आजमाना चाहती है।
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