फ्लोर टेस्ट के सवाल पर फिर गरमाई सियासत, आंकड़ों का खेल शुरू, पढ़ें खबर...
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन मामले में सुप्रीम कोर्ट के केंद्र सरकार से फ्लोर टेस्ट के संबंध में पूछे जाने से सियासत एक बार फिर गरमा गई है। अगर भाजपा सेंधमारी में सफल न हुई तो विधानसभा की मौजूदा गणित के लिहाज से कांग्रेस राहत की स्थिति में है।
देहरादून। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन मामले में सुप्रीम कोर्ट के केंद्र सरकार से फ्लोर टेस्ट के संबंध में पूछे जाने से सियासत एक बार फिर गरमा गई है। अगर भाजपा सेंधमारी में सफल न हुई तो विधानसभा की मौजूदा गणित के लिहाज से कांग्रेस राहत की स्थिति में है।
स्पीकर के नौ बागी कांग्रेस विधायकों की सदस्यता खत्म कर दिए जाने से अभी 62 सदस्यीय सदन में संख्याबल कांग्रेस के पास है और विधायकों की सदस्यता का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि फ्लोर टेस्ट की स्थिति में ये नौ बागी विधायक इसमें हिस्सा ले पाएंगे या नहीं।
गुजरी 18 मार्च को राज्य विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के नौ विधायकों की बगावत से शुरू हुआ सियासी घमासान फिलहाल नैनीताल हाईकोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि क्यों न पहले कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट करा लिया जाए, इस पर केंद्र सरकार को आज जवाब देना है।
सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल से उत्तराखंड में सियासी माहौल फिर गरमाता दिख रहा है। खासकर, कांग्रेस इस स्थिति में स्वयं को राहत में पा रही है। दरअसल, स्पीकर कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कर चुके हैं और बागी विधायक इस फैसले के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में गए हैं।
मौजूदा समय में उत्तराखंड विधानसभा में एक मनोनीत समेत कुल 62 सदस्य हैं। इन 62 में से कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 27 है जबकि तीन निर्दलीय, दो बसपा और उक्रांद के एक विधायक का समर्थन भी कांग्रेस के पास है। एक मनोनीत विधायक भी कांग्रेस का है। मतलब, कांग्रेस खेमे में विधायकों की संख्या का आंकड़ा 34 का है। उधर, भाजपा के पास 28 विधायक हैं लेकिन इनमें से एक भीमलाल आर्य कांग्रेस के निकट हैं।
भाजपा व्हिप उल्लंघन मामले में भीमलाल की सदस्यता खत्म करने के लिए याचिका लेकर स्पीकर के पास गई लेकिन सोमवार को स्पीकर ने यह याचिका खारिज कर दी। साफ है कि अब अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो हालात कांग्रेस के लिए मुफीद हैं, बशर्ते भाजपा सेंधमारी कर कांग्रेस खेमे में एक और टूट कराने में सफल न हो जाए।
भाजपा पहले कांग्रेस को समर्थन दे रहे छह गैर कांग्रेसी विधायकों के गुट प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंटको सॉफ्ट टार्गेट मानकर चल रही थी लेकिन उन्हें अपने पक्ष में कामयाब नही हो पाई। इसके बाद कांग्रेस में सतपाल महाराज के नजदीकी माने जाने वाले कुछ विधायकों को टटोलने की कोशिश भी की गई। फ्लोर टेस्ट की स्थिति में भाजपा की उम्मीदें पूरी तरह इसी बात पर टिकी हैं कि कांग्रेस खेमे में अगर टूट होती है तो इसका फायदा लिया जा सके।
कुल निर्वाचित विधायक | 70 |
मनोनीत विधायक | 01 |
कांग्रेस | 36 |
भाजपा | 28 |
बसपा | 02 |
उक्रांद | 01 |
निर्दलीय | 03 |
नौ बागी विधायकों के बगैर विधानसभा की स्थिति
कुल निर्वाचित विधायक | 61 |
मनोनीत विधायक | 01 |
कांग्रेस | 27 |
भाजपा | 28 |
बसपा | 02 |
उक्रांद | 01 |
निर्दलीय | 03 |
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