अनोखी परंपराः यहां बहनों की रक्षा का भाई और पेड़ों के संरक्षण का महिलाएं लेती हैं संकल्प
रक्षाबंधन का पावन पर्व उत्तराखंड में अलग अंदाज से मनाया गया। यहां भाइयों ने बहनों से राखी बंधवाकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया तो वहीं बहनों ने क्षों की रक्षा का संकल्प लिया।
देहरादून, [भानु बंगवाल]: रक्षाबंधन का पावन पर्व उत्तराखंड में अलग अंदाज से मनाया गया। यहां भाइयों ने बहनों से राखी बंधवाकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया तो वहीं बहनों ने प्राण वायु देने वाले वृक्षों की रक्षा का संकल्प लिया। गढ़वाल के विभिन्न स्थानों पर महिलाओं ने पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधे। यही नहीं कुमाऊं के मंदिरों में रक्षाबंधन के दिन जनेऊ संस्कार आयोजित किए गए।
इस पर्व में जहां बच्चों से लेकर जवान तक पतंगबाजी का लुफ्त उठा रहे हैं। वहीं हर जिले में अलग-अलग अंदाज से इस त्योहार को मनाया गया। उत्तराखंड में हर कोई एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधता नजर आया। बहन भाई को, महिलाएं वृक्षों को और पंडित यजमान को। सभी ने एक दूसरे की खुशहाली, सुख, समृद्धि की कामना की।
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यूं तो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में हर त्योहार पर वृक्षों की रक्षा का संकल्प लिया जाता है। मैती संस्था की पहल पर कई ग्रामीण इलाकों में तो नववधु से एक पौध का रोपण कराया जाता है। वहीं रक्षा बंधन के दिन भी लोग वृक्षों की रक्षा का संकल्प लेना नहीं भूलते हैं। खासकर महिलाएं इस संकल्प में सबसे आगे रहती हैं।
उत्तरकाशी जनपद के कई स्थानों पर हिमालय बचाओ आंदोलन के प्रणेता सुरेश भाई के प्रयासों ने महिलाओं ने पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। चमोली जनपद में सर्वोदयी कार्यकर्ता मुरारीलाल की पहल पर कई सालों से महिलाएं इस दिन पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधना नहीं भूलती हैं।
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कुमाऊं में इस दिन जनेऊ बदलने की पंरपरा है। मंदिरों सुबह से ही सामूहिक पूजा के साथ ही यज्ञोपवित संस्कार को संपन्न कराने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी रही।
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